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(ज) ऐसे शब्द या उपवाक्य के पूर्व जिस पर अवधारण की आवश्यकता है; जैसे, फिर क्या था―लगे सब मेरे सिर टपादप गिरने! पुस्तक का नाम है―श्यामालता।

(झ) ऐसे विवरण के पूर्व जो यथास्थान न लिखा गया हो; जैसे, इस पुस्तकालय मे कुछ पुस्तकें―हस्तलिखित―ऐसी भी हैं जो अन्यत्र कही नहीं हैं।

(७) कोष्ठक।

७४३―कोष्ठक नीचे लिखे स्थानो मे आता है―

(क) विषय-विभाग मे क्रम-सूचक अक्षरो वा अंकों के साथ; जैसे, (क) काल, (ख) स्थान, (ग) रीति, (घ) परिमाण। (१) शब्दाल कार, (२) अर्थालंकार, (३) उभयालंकार।

(ख) समानार्थी शब्द या वाक्यांश के साथ; जैसे, अफ्रिका के नीप्रो लोग ( हब्शी) अधिकतर उन्हीं की संतान हैं। इसी कालेज मे एक रईस-किसान (बड़े जमींदार) का लड़का पढ़ता था।

(ग) ऐसे वाक्य के साथ जो मूल वाक्य के साथ आकर उससे रचना का कोई संबंध नहीं रखता; जैसे, रानी मेरी का सौंदर्य अद्वितीय था (जैसी वह सुरूपा थी वैसी ही एलिजबेथ कुरूपा थी)।

(घ) किसी रचना का रूपांतर करने मे बाहर से लगाये गये शब्दो के साथ; जैसे, पराधीन (को) सपनेहु सुख नाहीं (है)।

(ड) नाटकादि संवादमय लेखो मे हाव-भाव सूचित करने के लिये; जैसे, इंद्र―( आनंद से) अच्छा देवसेना सज्जित हो गई?

(च) भूल के संशोधन या संदेह में; जैसे, यह चिह्न अकार शब्द (वर्ण ?) का निभ्रींत रूप है।