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वाक्य | प्रकार | साधारण उद्देश्य | उद्देश्य-वर्द्धक | साधारण विधेय | कर्म | पूर्त्ति | विधेय-विस्तारक | सं॰ श॰ |
(क) | मुख्य उपवाक्य (ख) और (ग) का | मैं | … | नहीं जानता | (ख) और (ग) उपवाक्य | … | … | … |
(ख) | संज्ञा-उपवाक्य, (क) का कर्म | रीति | यह बुरी; लड़की मारने की | चल गई | … | … | रघुवंशी राजपूतों में; क्योंकर | कि |
(ग) | संज्ञा-उपवाक्य, (क) का कर्म; (ख) का समानाधिकरण | किसने | … | चलाई | रीति (लुप्त) | … | … | और |
(११) यद्यपि स्वामीजी का चरित्र मुझे विशेष रूप से मालूम नहीं, तथापि जन-श्रुतियों द्वारा जो सुना है और जो कुछ आँखों देखा है उसे ही लिखता हूँ। (मिश्र वाक्य)
(क) तथापि उसे ही लिखता हूँ। (मुख्य उपवाक्य)
(ख) जन-श्रुतियों-द्वारा जो सुना है। [विशेषण-उपवाक्य, (क) का]।
(ग) और जो कुछ आँखों देखा है। [विशेषण-उपवाक्य, (क) का, (ख) का समानाधिकरण]।
(घ) यद्यपि स्वामीजी का चरित्र मुझे विशेष रूप से मालूम नहीं। [क्रिया-विशेषण-उपवाक्य, (क) का विरोध]।