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वाक्य प्रकार साधारण उद्देश्य उद्देश्य-वर्द्धक साधारण विधेय कर्म पूर्त्ति विधेय-विस्तारक सं॰ श॰
(क) मुख्य उपवाक्य (ख) का न्याय है यह समाज को एकसूत्र में बद्ध करने के लिए
(ख) संज्ञा-उपवाक्य (क) का; 'यह' सर्वनाम की समानाधिकरण स्वतंत्रता मिले सबको, अपना काम करने के लिए कि
(ग) क्रिया-विशेषण-उपवाक्य, (ख) का कार्य मौका शिकायत करने का न रहे किसी को ताकि

(१०) मैं नहीं जानता कि रघुवंशी राजपूतों में यह बुरी रीति लड़की मारने की क्योंकर चल गई और किसने चलाई। (मिश्र वाक्य)

(क) मैं नहीं जानता। (मुख्य उपवाक्य)।

(ख) कि रघुवंशी राजपूतों में यह बुरी चाल लड़की मारने की क्योंकर चल गई। [संज्ञा-उपवाक्य, (क) का कर्म]।

(ग) और किसने चलाई। [संज्ञा-उपवाक्य, (क) का कर्म; (ख) का समानाधिकरण]