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क्रिया-विशेषण की विशेषता―गाडी इतने धीरे चली “कि शहर के बाहर दिन निकल आया।” (=शहर के बाहर दिन निकलने के समय तक)।

[सु०―मिश्र वाक्यो में क्रिया विशेषण-उपवाक्यों की संख्या अन्य आश्रित उपवाक्यो की अपेक्षा अधिक रहती हैं।]

७०७―क्रिया-विशेषण-उपवाक्य पाँच प्रकार के होते हैं―(१) कालवाचक (२) स्थानवाचक (३) रीति-वाचक (४) परिमाण- वाचक (५) कार्य-कारवाचक।

(१) कालवाचक क्रियाविशेषण-उपवाक्य।

७०७ के―कालवाचक क्रियाविशेषण-उपवाक्य से नीचे लिखे अर्थ सूचित हेाते हैं―

(क) निश्चित काल―“जब किसान यह फंदा खोलने को आवे,” तब तुम साँस रोककर मुर्दे के समान पड़ जाना। “ज्योंही मैं आपको पत्र लिखने लगा,” त्योंही आपका पत्र आ पहुँचा।

(ख) कालावस्थिति―“जब तक हाथ से पुस्तके लिखने की चाल रही”, तब तक ग्रंथ बहुत ही संक्षेप में लिखे जाते थे । “जब आँधी बड़े जोर से चल रही थी,” तब वह एक टापू पर जा पहुँचा।

(ग) संयोग का पौन:पुन्य―“जब-जब मुझे काम पड़ा,” तब-तब आपने सहायता दी। “जब-कभी कोई दीन-दुखी उसके द्वार पर आता,” तब वह उसे अन्न और वस्त्र देता।

७०८―काल-वाचक क्रियाविशेषण-उपवाक्य जब, ज्योंही, जब-जब, जब तक और जब-कभी सबंधवाचक क्रिया-विशेषण से आरंभ होते हैं, और मुख्य उपवाक्य में उनके नित्य-संबंधी तब, त्योंही, तब-तब, तब तक आते हैं।

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