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उद्देश्य

विधेय

वाक्य साधारण उद्देश्य उद्देश्य-वर्द्धक साधारण विधेय विधेय-पूरक विधेय-विस्तारक
      कर्म पूर्त्ति  
(१३) विद्वान् को करनी चाहिये धर्म की चिंता सदा (काल)
(१४) मुझे देने हैं ये दान (मुख्य) ब्राह्मणों को (गौण)
(१५) मीर कासिम बनाया मुँगेर को अपनी राजधानी
(१६) कहना उसका समझा गया झूठ

 

चौथा अध्याय।
मिश्र वाक्य।

६९९—मिश्र वाक्य में मुख्य उपवाक्य एक ही रहता है; पर आश्रित उपवाक्य एक से अधिक आ सकते हैं। आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं—संज्ञा-उपवाक्य, विशेषण-उपवाक्य और किया-विशेषण-उपवाक्य।

(क) मुख्य उपवाक्य की किसी संज्ञा या संज्ञा-वाक्यांश के बदले जो उपवाक्य आता हैं उसे संज्ञा-उपवाक्य कहते हैं, जैसे तुमको