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(५९९)
उद्देश्य | विधेय | |||||
वाक्य | साधारण उद्देश्य | उद्देश्य-वर्द्धक | साधारण विधेय | विधेय-पूरक | विधेय-विस्तारक | |
कर्म | पूर्त्ति | |||||
(१३) | विद्वान् को | ॰ | करनी चाहिये | धर्म की चिंता | ॰ | सदा (काल) |
(१४) | मुझे | ॰ | देने हैं | ये दान (मुख्य) ब्राह्मणों को (गौण) | ॰ | ॰ |
(१५) | मीर कासिम | ॰ | बनाया | मुँगेर को | अपनी राजधानी | ॰ |
(१६) | कहना | उसका | समझा गया | ॰ | झूठ | ॰ |
चौथा अध्याय।
मिश्र वाक्य।
६९९—मिश्र वाक्य में मुख्य उपवाक्य एक ही रहता है; पर आश्रित उपवाक्य एक से अधिक आ सकते हैं। आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं—संज्ञा-उपवाक्य, विशेषण-उपवाक्य और किया-विशेषण-उपवाक्य।
(क) मुख्य उपवाक्य की किसी संज्ञा या संज्ञा-वाक्यांश के बदले जो उपवाक्य आता हैं उसे संज्ञा-उपवाक्य कहते हैं, जैसे तुमको