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विधेय
साधारण विधेय … …
विधेय-पूरक
कर्म
पूर्त्ति

विधेय-विस्तारक

[सू॰—इन कोष्ठकों में से पहला अधिक प्रचलित है।]

६९८—पृथक्करण के कुछ उदाहरण—

(१) पानी बरसा।

(२) वह आदमी पागल हो गया।

(३) सभापति ने अपना भाषण पढ़ा।

(४) इसमें वह बेचारा क्या कर सकता था?

(५) सीढ़ी के सहारे मैं जहाज पर जा पहुँचा।

(६) एक सेर घी बस होगा।

(७) खेत का खेत सूख गया।

(८) यहाँ आये मुझे दो वर्ष हो गये।

(९) राजमंदिर से बीस फुट की दूरी पर चारों तरफ दो फुट ऊँची दीवार है।

(१०) दुर्गंध के मारे वहाँ बैठा नहीं जाता था।

(११) यह अपमान, भला, किससे सहा जायगा?

(१२) नैपालवाले बहुत दिनों से अपना राज्य बढ़ाते चले आते थे।

(१३) विद्वान् को सदा धर्म की चिंता करनी चाहिये।

(१४) मुझे ये दान ब्राह्मणों को देने हैं।

(१५) मीर कासिम ने मुँगेर ही को अपनी राजधानी बनाया।

(१६) उसका कहना झूठ समझा गया।