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रूप आता है; जैसे, आप क्या चाहते हैं; आप वहाँ अवश्य पधारियेगा।

अप॰—अं॰—१२३ (ऊ)।

५८४—जब एक ही वाक्य में उद्देश्य की ओर संकेत करनेवाले सर्वनाम के संबंध-कारक का प्रयोग कर्ता को छोड़कर शेष कारकों में आनेवाली संज्ञा के साथ होता है, तब उसके बदले निज-वाचक सर्वनाम का संबंध-कारक लाया जाता है; जैसे, मैं अपने घर से आ रहा हूँ; आप अपने भाई के नौकर को क्यों नहीं बुलाते? घोड़े ने अपनी पूँछ से मक्खियाँ उड़ाईं; कोई अपने दही को खट्टा नहीं कहता; लड़के से अपना काम नहीं किया जाता।

(अ) यदि वाक्य में दो अलग-अलग उद्देश्य हों और पहले उद्देश्य के संबंध से दूसरे उद्देश्य की संज्ञा का उल्लेख करना हो तो निजवाचक के संबंध-कारक का प्रयोग नहीं होता, किन्तु पुरुषवाचक के संबंध-कारक का प्रयोग होता है; जैसे, एक बुड्‍ढा मनुष्य और उसका लड़का बाजार को जाते थे। एक महाजन आया और उसके पीछे उसका नौकर आया।

(आ) जब कर्त्ता-कारक को छोड़कर अन्य कारकों में आनेवाली संज्ञा (वा सर्वनाम) के संबंध से किसी दूसरी संज्ञा का उल्लेख करना हो तो विकल्प से निजवाचक अथवा पुरुषवाचक सर्वनाम का संबंध-कारक आता है; जैसे, मैंने लड़के को अपने (वा उसके) घर भेज दिया; तुम किसी से अपना (उसका) भेद मत पूछो; मालिक नौकर को अपनी (उसकी) माता के साथ नहीं रहने देता।

(इ) यदि 'अपना' का संकेत वाक्य के उद्देश्य के बदले विषय के उद्देश्य की ओर हो तो उसका प्रयोग कर्त्ता-कारक में आनेवाली संज्ञा के साथ हो सकता है; जैसे, अपनी बड़ाई सबको भाती है (शकु॰); अपना दोष किसी को नहीं दिखाई देता।