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मरना—मरियल बढ़ना—बढ़ियल

पड़ना—पड़ियत।

(भाववाचक)—

हँसना—हँसी कहना—कही
बोलना—बोली मरना—मरी
धमकाना—धमकी घुड़कना—घुड़की

(करणवाचक)—

रेतना—रेती फाँसना—फॉसी
गॉसना—गॉसी चिमटना—चिमटी

टाँकना—टॉकी।

इया (कर्तृवाचक)—

जड़ना—जड़िया लखना—लखिया
धुनना—धुनिया नियारना—नियारिया।

(गुणवाचक)—

बढ़ना—बढ़िया घटना—घटिया।

(कर्तृवाचक)—

खाना—खाऊ रटना—रट्टू
उतरना—उतारू (तैयार) चलना—चालू
बिगाड़ना—बिगाडू, मारना—मारू
काटना—काटू लगना—लागू (मराठी)
भगना—भग्गू

(करणवाचक)—झाड़ना—झाड़ू।

—यह प्रत्यय सब धातुओं में लगता है और इसके योग से अव्यय बनते हैं। इससे क्रिया की समाप्ति का बोध होता है; इसलिए इससे बने हुए शब्दों का बहुधा पुर्य क्रिया-द्योतक कृदंत कहते हैं। इन अव्यय का प्रयोग क्रिया-विशेषण के