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- क (ऊनवाचक)—
- पुत्र—पुत्रक, बाल—बास्तक, वृक्ष—वृक्षक, नौ—नौका (स्त्री॰)।
- (समुदाय—वाचक)—
पंच—पचक, | सप्त—सप्तक, |
अष्ट—अष्टक। |
- कट (विविध अर्थ में)—
- यह प्रत्यय कुछ उपसर्गों में लगाने से ये शब्द बनते हैं—
- संकट, प्रकट, विकट, निकट, उत्कट।
- कल्प (ऊनवाचक)—
- कुमारकल्प, कविकल्प, मृतकल्प, विद्वत्कल्प।
- चित् (अनिश्चयवाचक)—
- कचितु, कदाचित्, किंचित्।
- ठ (कर्त्तृवाचक)—
- कर्मन्—कर्मठ, जरा—जरठ।
- तन (काल-संबधवाचक)—
सदा (सना)—सनातन, | पुरा—पुरातन, |
नव—नूतन, | प्राच्—प्राक्तन, |
अद्य—अद्यतन। |
- तस् (रीतिवाचक)
- प्रथम-प्रथमतः, स्वत, उभयत, तात्वत, अंशतः।
- त्य (संबंधवाचक)—
दक्षिण—दाक्षिणात्य | पश्चात्—पाश्चात्य |
अमा—अमात्य | नि—नित्य |
अत्र—अत्रत्य | तत्र—तत्रत्य |
[सू॰—पाश्चिमात्य और पैर्वात्य शब्द इन शब्दों के अनुकरण पर हिंदी में प्रचलित हुए हैं। पर में अशुद्ध है।]