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के समास से बना है, परंतु "रसोई" और "घर" शब्दों की व्युत्पत्ति किन भाषाओं के किन शब्दों से हुई है, यह बात व्याकरण-विषय के बाहर की है।

४३०—एक ही भाषा के किसी शब्द से जो दृसर शब्द बनते हैं वे बहुधा तीन प्रकार से बनाये जाते हैं। किसी-किसी शब्द के पूर्व एक-दो अक्षर लगाने से नये शब्द बनते हैं, किसी-किसी शब्द के पश्चात् एक-दो अक्षर लगाकर नये शब्द बनाये जाते हैं, और किसी-किसी शब्द के साथ दूसरा शब्द मिलाने से नये संयुक्त शब्द तैयार होते हैं।

(अ) शब्द के पूर्व जो अक्षर वा अक्षर-समूह लगाया जाता है उसे उपसर्ग कहते हैं, जैसे, "वन" शब्द के पूर्व "अन" निषेधार्थी अक्षर-समूह लगाने से "अनबन" शब्द बनता है। इस शब्द, मे "अन" (अक्षर-समूह) को उपसर्ग कहते हैं।

सू॰—संस्कृत में शब्दों के पूर्व आनेवाले कुछ नियत अक्षरों ही को उपसर्ग कहते हैं और बाकी के अव्यय मानते है। यह अंतर उस भाषा की दृष्टि से महत्व का भी हो, पर हिंदी में ऐसा अंतर मानने का कोई कारण नहीं है। इसलिए हिंदी में "उपसर्ग" शब्द की योजना अधिक व्यापक अर्थ में होती है।

(आ) शब्दों के पश्चात् (धागे) जो अक्षर वा अक्षर-समूह लगाया जाता है उसे प्रत्यय कहते हैं, जैसे, "बड़ा" शब्द में "आई" (अक्षर-समूह) से "बड़ाई" शब्द बनता है, इसलिए "आ:" प्रत्यय है।

सू॰—रूपातर-प्रकरण में जो कारक-प्रत्यय और काल-प्रत्यय कहे गये है उनमें और व्युत्पत्ति-प्रत्ययों में अंतर है। पहले दो प्रकार के प्रत्यय चरम-प्रत्यय है अर्थात् उनके पश्चात् और कोई प्रत्यय नही लग सकते। हिंदी में अधिकरण कारक के प्रत्यय इस नियम के अपवाद है, तथापि विभक्तियो के साधारणतया चरम-प्रत्यय मानते है। परन्तु व्युत्पत्ति में जो प्रत्यय आते हैं वे