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में केवल एक ही अपभ्रंश भाषा का नमूना मिलता है जिसे नागर-अपभ्रंश कहते हैं। इसका प्रचार बहुत करके पश्चिमी भारत में था। इस अपभ्रंश में कई बोलियाँ शामिल थीं, जो दक्षिणी भारत के उत्तर की तरफ प्रायः समग्र पश्चिमी भाग में बोली जाती थीं। हमारी हिंदी भाषा दो अपभ्रंशों के मेल से बनी है; प्रथम नागर-अपभ्रंश जिससे पश्चिमी हिंदी और पंजाबी निकली हैं; द्वितीय, अर्द्धमागधी का अपभ्रंश जिससे पूर्वी हिंदी निकली है, जो अवध, बघेलखंड और छत्तीसगढ़ में बोली जाती है।

नीचे लिखे वृक्ष से हिंदी-भाषा की उत्पत्ति ठीक ठीक मालूम हो जायगी।

प्राचीन संस्कृत
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
लौकिक संस्कृतपहली प्राकृत
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
पाली या दूसरी प्राकृत
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
शौरसेनीअर्द्धमागधीमागधी
 
 
 
 
नागर-अपभ्रंशअर्द्धमागधी-अपभ्रंश
 
 
 
 
पश्चिमी हिंदीपूर्वी हिंदी
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
वर्तमान् हिंदी (या हिंदुस्तानी)