पृष्ठ:हिंदी व्याकरण.pdf/३४७

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(३२६)


हैं; जैसे, मैं आता था, तू आती थी, वह आती थी, वे आती थीं, इत्यादि।

(अ) जब इस काल से भूतकाल के अभ्यास का बोध होता है। तब बहुधा सहकारी क्रिया का लोप कर देते हैं; जैसे, "मैं बराबर विनय-पूर्वक स्वाधीनता के लिए महाराज से प्रार्थना करता तो वह कहते, अभी सब्र करो" (विचित्र॰)।
(आ) बोलचाल की कविता में कभी कभी संभाव्य भविष्यत् के आगे स्थितिदर्शक सहकारी क्रिया के रूप जोड़कर सामान्य वर्त्तमान और अपुर्ण भूतकाल बनाते हैं, जैसे, "कहाँ जलै है वह आगी"। (एकांत॰)। "पूर्ण सुधाकर—झलक मनोहर दिखलावै या सर के तीर।" (हिं॰ ग्रं॰)। इसका प्रचार अब घट रहा है।

(४) वर्त्तमानकालिक कृदंत के साथ विकार-दर्शक सहकारी क्रिया के संभाव्य-भविष्यत्काल के रूप लगाने से संभाव्य-वर्त्तमान काल बनती है; जैसे, मैं आता होऊँ, वह आता हो, वे आती हों, इत्यादि।

(५) वर्त्तमानकालिक कृदंत के साथ सहकारी क्रिया के सामान्य-भविष्यत् के रूप लगाने से संदिग्ध वर्त्तमान काल बनता है; जैसे, मैं आता होऊँगा, वह आता होगा, वे आती होंगी।

(६) अपूर्ण संकेतार्थ काल बनाने के लिए वर्तमानकालिक कृदंत के साथ सामान्य संकेतार्थ काल के रूप लगाये जाते हैं; जैसे, आज दिन यदि बढ़ई हल न तैयार करते होते तो हमारी। क्या दशा होती।

(अ) इस काल का प्रचार अधिक नही है। इसके बदले बहुधा सामान्य संकेतार्थ आता है। इस काल में "होना" क्रिया