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(५) संकेतार्थ क्रिया से ऐसी दो घटनाओं की असिद्धि सूचित होती है जिनमे कार्य-कारण का संबंध होता है, जैसे "यदि मेरे पास बहुतसा धन होता तो मैं चार काम करता।" (भाषासार॰)। "यदि तूने भगवान को इस मंदिर में बिठाया होता तो यह अशुद्ध क्यों रहता।" (गुटका॰)।
[सू॰—संकेतार्थक वाक्यों में जो—तो समुच्चयबोधक अव्यय बहुधा आते हैं।]
३६१—सब अर्थों के अनुसार कालों के जो भेद होते हैं उन की संख्या, नाम और उदाहरण आगे दिये जाते हैं—
निश्चयार्थ | संभावनार्थ | संदेहार्थ | आज्ञार्थ | संकेतार्थ |
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(१) सामान्य वर्त्तमान वह चलता है |
(७) संभाव्य वर्त्तमान वह चलता हो |
(१०) संदिग्ध वर्त्तमान वह चलता होगा |
(१२) प्रत्यक्ष विधि तू चल |
(१४) सामान्य संकेतार्थ वह चलता |
(२) पूर्ण वर्त्तमान वह चला है |
(८) संभाव्य भूत वह चला हो |
(११) संदिग्ध भूत वह चला होगा |
(१३) परोक्ष विधि तू चलना |
(१५) अपूर्ण संकेतार्थ वह चलता होता |
(३) सामान्य भूत वह चलता था |
(९) संभाव्य भविष्यत् वह चले |
(१६) पूर्ण संकेतार्थ वह चला होता | ||
(४) अपूर्ण भूत वह चला |
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(५) पूर्ण भूत वह चला था |
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(६) सामान्य भविष्यत् वह चलेगा |
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