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२—हिंदी की उत्पत्ति।

(१) आदिम भाषा।

भिन्न भिन्न देशों में रहनेवाली मनुष्य-जातियों के आकार, स्वभाव आदि की परस्पर तुलना करने से ज्ञात होता है कि उनमें आश्चर्य-जनक और अद्भुत समानता है। इससे विदित होता है कि सृष्टि के आदि में सब मनुष्यों के पूर्वज एकही थे। वे एकही स्थान पर रहते थे और एकही-से आचार-व्यवहार करते थे। इसी प्रकार, यदि भिन्न भिन्न भाषाओं के मुख्य मुख्य नियमों और शब्दों की परस्पर तुलना की जाय तो उनमें भी विचित्र सादृश्य दिखाई देता है। इससे यह प्रकट होता है कि हम सबके पूर्वज पहले एक-ही भाषा बोलते थे। जिस प्रकार आदिम स्थान से पृथक् होकर लोग जहाँ तहाँ चले गये और भिन्न भिन्न जातियों में विभक्त हो गये उसी प्रकार उस आदिम भाषा से भी कितनीही भिन्न भिन्न भाषाएँ उत्पन्न हो गईं।

कुछ विद्वानों का अनुमान है कि मनुष्य पहले पहल एशिया-खंड के मध्य भाग में रहता था। जैसे जैसे उसकी संतति बढ़ती गई क्रम क्रम से लोग अपना मूल स्थान छोड़ अन्य देशों में जा बसे। इसी प्रकार यह भी एक अनुमान है कि नाना प्रकार की भाषाएँ एकही भाषा से निकली हैं। पाश्चात्य विद्वान् पहले यह समझते थे कि इब्रानी भाषा से, जिसमें यहूदी लोगों के धर्मग्रंथ हैं, सब भाषाएँ निकली हैं, परंतु उनमें संस्कृत का ज्ञान बढ़ने और शब्दों के मूल रूपों का पता लगने से यह सिद्ध हुआ है कि एक ऐसी आदिम भाषा से, जिसका अब पता लगना कठिन है, संसार की सब भाषाएँ निकली हैं और वे तीन भागों में बाँटी जा सकती हैं—