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नियोग की खबर इस देश में विना मेघ की वर्षा की भांति अचानक अ गिरी।"( शिव० )। इन प्रयेागों में बिना बहुधा संबंधी शब्द के पहले आता है।

उलटा-यह शब्द यथार्थ में विशेषण है; पर कभी कभी इसका प्रयोग "का" विभक्ति के आगे संबंधसूचक के समान होता है, जैसे, "टापू का उलटा झील है।" विरोध के अर्थ में बहुधा "विरुद्ध," "खिलाफ," आदि आते है।

कर, करके-यह संबंधसूचक बहुधा "द्वारा," "समान" वा "नामक" के अर्थ में आता है; जैसे, "मन, वचन, कर्म करके यति किसी जीव की हिंसा न करे।" "अग जग नाथ मनुज करि जाना।" (राम०)। "संसार के स्वामी, (भगवान्) का मनुष्य करके जाना।" (पीयूष०)। "तुम हरि को पुत्र कर मत मानो।" (ग्रेस०)। "पंडितजी शास्त्री करके प्रसिद्ध हैं।" "बछरा करि हम जान्या थाही।" (ब्रज०)।

अपेक्षा, बनिस्बल-पहला शब्द संस्कृत संज्ञा है और दूसरा शब्द उर्दू संज्ञा "निस्बत" मे "ब"। उपसर्ग लगाने से बना है। एक के पूर्व की और दूसरे के पूर्व "के" आता है। इनका प्रयोग तुलना में होता है और दोनों एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। जिस वस्तु की हीनता बतानी है। उसके वाचक शब्द के आगे अपेक्षा या "बनिस्बत" लगाते हैं; जैसे, "उनकी अपेक्षा और प्रकार के मनुष्य कम हैं।" ( जीविका० )। "आर्यों के बनिस्बत ऐसी ऐसी असभ्य जाति के लोग रहते थे।" ( इति० ) । परीक्षा गुरु मे "बनिस्बत" के बदले "निस्बत" आया है, जैसे, "उसकी निस्वत उदारता की ज्यादा कदर करते हैं।" यथार्थ में "निस्बत" "विषय" के अर्थ में आता है; जैसे "चंदे की निस्बत आप की क्या राय है।" कभी कभी "अपेक्षा" का भी अर्थ "निस्बत" के समान "विषय"