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का उच्चारण दहाइयों के पहले होता है; जैसे, “चौ-दह," चै-बीस," “पैं-तीस," “पैं-तालीस इत्यादि ।

( क ) दहाई की संख्या सूचित करने मे इकाई और दहाई के अंकों का उच्चारण कुछ बदल जाता है, जैसे, एक = इक। दप =रह ।

दो = बा, ब। । बीस = ईस ।

तीन = ते, तिर, ति । तीस = तीस ।

चार = चैी, चौ । चालीस= तालीस ।

पांच = पंद, पच, पचास = वन, पन ।

पैं, पच । साठ =सठ

छः = सो, छ । सतर= हतर ।

सात= सत, सै, सड । अस्सी = अस्सी ।

आठ = अठ, अड । नव्वे = नवे ।

१७१–बोस से लेकर अस्सी तक प्रत्येक दहाई के पहले की संख्या सूचित करने के लिये उस दहाई के नाम के पहले "उन" शब्द का उपयोग होता है, जैसे, उन्नीस," “उंंतीस,” “उनसठ," इत्यादि । यह शब्द संस्कृत के “ऊन” शब्द का अपभ्रंश है। "नवासी" और "निन्नानवे" में क्रमश: और "नव" और "निन्ना" जोड़े जाते हैं। संस्कृत में इन संख्याओं के रूप “नवाशीति" और“नवनवति" हैं।

१७२-सौ से ऊपर की संख्या जताने के लिये एक से अधिक शब्दो का उपयोग किया जाता है; जैसे, १२५= “एक सौ पच्चीस,"

२७५="दो सौ पचहत्तर” इत्यादि ।

(अ) सौ और दो सों के बीच की संख्याएँ प्रगट करने के लिये कभी कभी छाटी संख्या को पहले कहकर फिर बड़ी संख्या बोलते हैं । इकाई के साथ “ओतर" (सं.---उत्तर = अधिक) और दहाई के साथ "आ" जोड़ा जाता है, जैसे, “अटोतर सो" =