पृष्ठ:हिंदी व्याकरण.pdf/१२६

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(१०५)


बहुधा पहले वाक्य में आती है और सबंध-वाचक सर्वनाम दूसरे वाक्य में आता है, जैसे, “राजा भीष्मक का बड़ा बेटा जिसका नाम रुक्म था निपट झुंझलायके बोला ।" ( प्रेम० ) । "यह नारी कौन है जिसका रूप वस्त्रों में झलक रहा है ।" ( शकु० ) ।

( इ )जिस सज्ञा के बदले सवध-वाचक और नित्य-संबंधी सर्वनाम आते हैं उसके अर्थ की स्पष्टता के लिए बहुधा दोनों सर्वनामो में से किसी एक का प्रयोग विशेषण के समान होता है, जैसे, "क्या आप फिर उस परदे को डाला चाहते हैं। जो सत्य ने मेरे साम्हने से हटाया ?" ( गुटका० ) । "श्रीकृष्ण ने उन लकीरों को गिना जो उसने खैंची थीं ।" ( प्रेम० ) । "जिस हरिश्चद्र ने उदय से अस्त तक की पृथ्वी के लिए धर्म न छोडा, उसका धर्म आधा गज कपडे के वास्ते मत छुडाओ ।" (सत्य॰) ।

(ई) नित्य-सबधी “स" की अपेक्षा "वह" का प्रचार अधिक है । कभी कभी उसके बदले “यह'" "ऐसा," "सब" और "कौन" आते हैं, जैसे, “जिस शकुंतला ने तुम्हारे बिना सींचे कभी जल भी नही पिया उसको तुम पति के घर जाने की आज्ञा दो ।" ( शकु० ) । “संसार में ऐसी कोई चीज न थी जो उस राजा के लिए अलभ्य होती ।" ( रघु० ) । “वह कौनसा उपाय है जिससे यह पापी मनुष्य ईश्वर के कोप से छुटकारा पावे ।"( गुटका० ) । "सब लोग जो यह तमाशा देख रहे थे अचरज करने लगे ।"

( उ ) कभी कभी संवध-वाचक सर्वनाम अकेला पहले वाक्य में आता है और उसकी संज्ञा दूसरे वाक्य में बहुधा "ऐसा" वा “वह" के साथ आती है, जैसे, “जिसने कभी कोई पाप-कर्म