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( शकु० )। 'उसने उसके कुछ खिलाफ कार्रवाई की ।" ( स्वा० ) । “लडकी कुछ छोटी है ।” “दोनों की आकृति कुछ कुछ मिलती है ।"

(ई आश्चर्य, आनद वा तिरस्कार के अर्थ मे भी "कुछ" क्रिया- विशेषण होता है, जैसे, “हिंदी कुछ संस्कृत तो है नही ।" (सर०) । “हम लोग कुछ लडते नहीं हैं ।" "मेरा हाल कुछ न पूछो ।"

(उ) अवधारण के लिए "कुछ न कुछ" आता है, जैसे, “आर्य- जाति ने दिशाओ का नाम कुछ न कुछ रख लिया होगा ।" ( सर० )।

(ऊ) किसी ज्ञात पदार्थ वा धर्म को छोड़कर दूसरे अज्ञात पदार्थ वा धर्म का बोध कराने के लिए "कुछ" के साथ "और" आता है, जैसे, “तेरे मन में कुछ और ही है ।" (शकु॰) ।

(ऋ)भिन्नता या विपरीतता सूचित करने के लिए 'कुछ का कुछ’ आता है, जैसे, “आपने कुछ का कुछ समझ लिया।" “जिनसे ये कुछ के कुछ हो गये ।" ( इति० ) ।

(ऋ)कुछ" के साथ "सब” और “बहुत" आते हैं। “सब कुछ" का अर्थ "सब पदार्थ वा धर्म" है, और "बहुत कुछ" का अर्थ “बहुतसे पदार्थ वा धर्म" अथवा "अधिकता से" है। उदा०—“हम समझते सब कुछ हैं।"( सत्य० )। "लडका बहुत कुछ दौड़ता है ।" “यो भी बहुत कुछ हो रहेगा ।” ( सत्य० )।

(ए)कुछ कुछ। ये दुहरे शब्द विचित्रता सूचित करते हैं, जैसे, “एक कुछ कहता है और दूसरा कुछ।" (इति०) । "कुछ तेरा गुरु जानता है, कुछ मेरे से लोग जानते हैं ।" ( मुद्रा० )। "कुछ तुम समझे, कुछ हम समझे ।" ( कहा० ) ।