दूसलाम हो तबसे आजतक मुसलमानोंका चान्द्रवत्सर गणित सुपरिचित हैं कि मुहम्मदो इसलामधर्मको उत्पत्तिसे होता आता है। पहिले अरबमें सूर्योपासक मगी, पौत्तलिक और मदीनामें आकर मुहम्मद अपनी शिष्यमण्डलीके खुष्टान सम्प्रदायका प्रादुर्भाव था। भिन्न भिन्न उपदेष्टा, पुरोहित, दलपति वा राजा नियुक्त हुये। सम्प्रदायावलम्बी जब एकत्र होते हैं, तब प्रायः वैरका इस जगह उन्होंने अपने सदस्यों और शिष्यों को सहा अङ्कर फट निकलता है। इसी नियमके अनुसार जब यतासे जिसप्रकार इसलामधर्मको पुष्टि और उन्नति अरबमें दो भिन्न भिन्न सम्प्रदायोंका सङ्गम हुआ, की, उसे यथास्थान हमने लिखा है। मुहम्मद देखो। तब वहां भी सूर्योपासक मगोंके साथ वैजयन्ती ६३२ ई० में अरब देशके मुक्तिपथप्रदर्शक महात्मा । ( Byzantine) साम्राज्यको आत्मश्लाघामें तत्परता मुहम्मदने अपना चौसठ वर्षका आयु समाप्त और होनेसे विरोध खड़ा हो गया । परस्परमें झगड़ा होनेसे संसारमें शान्तिधम स्थापितकर ऐहिक लीला संवरण दोनों पक्षोंका बल घटता है, इसलिये करको अधिकता की। जब उनका तिरोधानसमय निकट अाया, ! और मनुष्यों को न्यनतासे पारससाम्राज्य धोरे धोर तब वह अपनी प्रियपत्नी आयेसाके बाहुभागमें शिर होनशक्ति होने लगा। पारस्य देखो। रखकर आकाशकी तरफ शान्तिपूर्ण हृदयसे देखने लगे सुप्राचीन जरथस्त्र (Zoroaster)के मतानुयायो और अस्फट स्वरमें “स्वर्गके सर्वश्रेष्ठ सङ्गी”को पारसिक लोग परस्परमें एकता न रखनेके कारण उद्देश्यकर अपने प्राणोंका अभाव बतलाते हुये इस नवोस्थित महम्मदी सम्पदायको शक्तिके सामने अपने लोकको छोड़ चल बसे। इस घटनासे ऐसा स्पष्ट धर्मको यथावत् रक्षा न कर सके। इसलिये अचि- मालम होता है, कि मुहम्मद अपने अन्तसमय. रोस्थित अरब जातिके राज्य जयके साथ ही पासके स्वर्गप्राप्तिको प्रत्याशासे प्रफल्लित हो गये थे । दो होनशक्ति साम्राज्य मुसलमानोंके हाथ लग मुहम्मद जिस दिन मक्काको छोड़ मदीना पाय घे गये। अब तो महम्मदी सम्पदायका विस्तार अनिर्वाय पार्थात् जिस दिन हिजरी संवत्को प्रतिष्ठा हुई थी, उस हो गया और अपनी तलवारको सहायतासे अपने दिनसे लेकर महन्मदको मृत्युपर्यन्त अर्थात् हिजरी मतका प्रचार करने लगा। जो मनुष्य उसके कथना. संवत्के १० वर्ष भीतर भीतर मुसलमानधर्म और नुसार इसलामधर्मको न खोकार करता वह उसे मुसलमान जाति एसियाप्रदेशमें इस रूपसे दृढ़ संघटित अपनी तलवारकी पनो धारसे, उड़ा दिया करता हो गई, कि उसे वहांके राजधर्म, जातिविप्लव आदि था फिर जो भयभीत हो उसका अनुयायी हो जाता कोई भी विघ्न कम्पित न कर सके। इस समय भी यह था, उसे ससम्मान अपने में परिगणित करता था। मुहम्मदपचारित इस लामधमें चौदह करोड़ मनुष्यों के परन्तु ऐसे समयमें भी बहुतसे यहूदी और खुष्टान हृदयमें अपने शक्तिमय अनुशासनके प्रभावसे अप्रतिहत अपने सम्मानको कुछ भी परवा न कर अधिक कर- रूपमें अवस्थिति कर रहा है। प्रदान कर किसी तरह अपनी रक्षाकर बच गये। जब मुहम्मद मदीनामें आ गये, तब उनके अनुचर जिस समय यह समस्त परिवृद्धि चरित्र अरब देशमें लोग वहां हो जाकर रहने लगे और उन सबके हुआ, उस समय वहां मुसलमान जातिके अधिनायक, मध्यमें मुहम्मदी सम्प्रदायका प्रथम मुसलमानतनय साम्राज्य के अधोखर स्वयं इसलामधर्मप्रवत्तक मुहम्मद जाबिरका पुत्र अबदुल्ला हुआ। फिर उसके बाद क्रम ही थे। उनको मृत्यु के बाद खलीफा लोगोंने मुसल- क्रमसे मुसलमानजाति मुहन्मदको शक्ति के प्रभावसे तल मान समाजका नेटत्व ग्रहण किया। उनको राज- ‘वार और करानको हाथमें लेकर 'दीन, दोन' शब्द शक्ति धर्मप्रणोदित होनेका कारण जातीय एकता बोलते यूरोपके समस्त दक्षिण भागमें विस्तृत हो गई। हारा शासन करनेसे अक्षुणरीत्या देशदेशान्तरों में - इतिहास-पाठक प्रायः सबलोग ही इस बातसे | विस्तृत हो गई।..... ..
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