इश्कपेचा-दूषु इश्कपेचा (हिं. पु०) मल्लिका विशेष, अमरीकाको । इष (सं० पु.) इष यात्रा विद्यते यस्मिन् मासे, इष चमेलो। (Quamoclit vulgaris) यद्यपि यह ! गत्यर्थे क्विप्-इट्-अच् । १ सौर एवं चान्द्र आखिनमास। प्रधानतः अमेरिकामें उपजता है, तो भी इस वृक्षको "इषे मास्वसिते पचे नवम्यामा योगतः।" भारतमें कोई कमी नहीं। यह दो प्रकारको होती (तिथितत्त्वकृत दैवीपुराण) है। एकमें लाल और दूसरे में सफेद फल आते हैं। २ प्रेषण, भेजना। ३ अन्न। इसका पत्र सूत्र-जैसा सूक्ष्म रहता है। इश्कृपेचा ठण्डा | इषण (हिं०) एषण देखी। है। आघात लगनेसे क्षतपर इसकी पत्तीका पुलटिस इषणि (दै० स्त्री०) इष निपातनात् अणि । १प्रेषण, चढ़ाते और रस गर्म धीमें मिला रोगीको पिलाते | प्रेरण, भेजनेका काम। २ इच्छा, खाहिश । हैं। विस्फोटपर पत्रका लेप भी लगाया जाता है। । इषण्य (सं० स्त्री०) इषणिमिच्छतीति, इषणि- इश्कबाज़ (अ० पु०) कामुक, रसिया, छैला। क्यच -अङ् भावे टाप। प्रेरण, ख़ाहिश, चाह। इश्कबाज़ी (अ० स्त्री०) कामचेष्टा, हुस्नपरस्ती। | इषव्य ( स० त्रि०) इषुणा विध्यति इषौ कुशलो वा, इश्क मजाजी (अ० पु०) सांसारिक प्रेम, दुनियावी | इषु-यत् । १ शरलक्ष्य, जिसपे तौरका निशाना लगे। मुहब्बत। २ सम्यकरूपसे वाण चला सकनेवाला, जी तौर इश्क हकीकी (अ० पु०) ईश्वरीय प्रेम, सच्ची मुहब्बत। मारनेमें होशियार हो। इश्क है (हिं. अव्य०) धन्य धन्य ! क्या खब! इषिका (सं० स्त्री०) इष-वुन्। कादिभ्यो बुन् । उण् ५।३५ । शाबाश! १ गजाक्षिगोलक, हाथोकी आंखका देला। २ चित्र- इश्की-१ एक प्रसिद्ध कवि। यह मुहम्मद शाह के कर्मका यन्त्र विशेष, बालोंका कलम। यह घोड़े या समयमें वर्तमान थे। १७२८ ई०में इनकी मृतु हुई। सूवरके बालसे बनता है। । २ पटनाके रहनेवाले एक मुसलमान कवि, शाह इषित (सं० वि०) १ चलित, प्रेरित, जो सरकाया शैख मुहम्मद वजीहका उपनाम। इनके पिताका या पहुंचाया गया हो। २ उत्तेजित, भड़काया हुआ। नाम गु.लाम हुसैन मुजरिम था। इश्कोने अंगरेज | | ३ चपल, तेज। सरकारके अधीन दश वर्ष खरवारमें तहसीलदारी की। इषिर (सं० त्रि०) इष-किरच् । इषिनदीत्यादिना । उण् १।५२ : १८०० ई० में यह जीवित थे। १ गमनशील, चल सकनेवाला। (पु.) २ अग्नि, इश्तहार (अ० पु०) १ घोषणा, इत्तिला, व्यौरा। आग। २ प्रकाशन, तशहीर, फैलावा। २ विज्ञापन, एलान। इषोक (सं० पु०) जातिविशेष, एक कौम । ४ जवाख, हरकारा। इधोकतूल (सं० लो०) शरणका उपरिभाग, राम- इश्तहारी (अ० पु०) पलायित व्यक्ति,भागा हुआ शखम। शरका ऊपरी हिस्सा। इश्तियाक (अ० पु०) १ अभिलाष, चाह। २ प्रब- इषोका (सं० स्त्री०) ईष-इकन्। ईर्ष : किद प्रखश्च । लेच्छा, लालच। ३ प्रेम, प्यार। उण् ४।२१ । १ गजाक्षिगोलक, हाथोको आंखका ढेला। इश्तियालक (अ॰ स्त्री०) १ उत्तेजना, भड़क। २ काशण, मूंज। ३ मुञ्जामध्यवर्ती तृण, मूजके ३ दीपक बत्ती सरकानेको सोंक। | बोचकी सोंक। इसीपर जौरा लगता है। ४ शर- इष (स• त्रि.) इष इच्छार्थ क्विप। १ इच्छायुक्त, काण्ड, रामशरका तना। ५ वेणाका काण्ड, बणाका खाहिशमन्द। कर्मणि क्विप। २ अभिलषित, खाहिश तना। इस तृणसे एक प्रकारका अस्त्र बनता है। . किया हुआ। ३ खाद्य, खाने-लायक । 8 अभिलाषके "तस्मिन्नास्थदिषीकास्त्रम् ।” ( रघुवंश) योग्य, जिसे चाहे। (स्त्री०) भावे क्विप् । ५ यात्रा, इषु (सं० पु०-स्त्री०) ईष-उ। ईष: किश। उ १।१४ ॥ रवानगी। ६ अभिलाष, खाहिश। । १ वाण, तीर।२ संख्या, अदद। ३ वृत्तक्षेत्रके मध्यको Vol III. 21
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/८२
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