बनाता योग दुबे 'याण्डिन्य त्रिपाठी (पिण्डी) । मन, बरखोसे राममा, सच्चोमपुर एवं मोराबाद भारद्वाज हिवेदी (हस्ट्राम) मजाके निक्षतटसे कान्यकुब, कालीनदोके उसने मित्र (पियासो) पखोपुरपड़ी, भाई-गांव, सोग, इटाव तथा बोरामन हिवदी (समदागे) पौर दचिव यमुनासे चम्बल नदौके सामसानता काध्यप मित्र (गढ़ी) रहते। पाण्डेय (माखा) उपाधि कौशिक मित्र (धर्मपुरा) वशिष्ट व्यास चन्द्रायम पाण्डं य (चपला) गोवामी सावय पाहे य (इतारी) मित्र पराशर पारय . पराधर एसडिव पुलस्त्य, शुगु, अवि, पहिरा प्रमति कतारी दूसरे गोवीय भौ सरवरिया होते हैं। देवलिया उपरोक्त गोबाँके मध्य गर्ग, गौतम और साहित्य गोवीय ही कुलीन समझे जाते हैं। खेमर्य भौतिया-बुंदेलखण्ड में रहते हैं। उत्तर एवं उपाध्याय पश्चिम कमौजिया और पूर्व सरवरियोंसे जमोतिये भारद्वाज वैद 'मिले हैं। इस शाखामें रूपरन्दके चौबे (चतुर्वेद'), चौबे दरयाके दुबै (द्विवेदो) और हमीरपुर तथा करोमि के टोषित मित्र श्रेष्ठवंश माने जाते हैं। त्रिपाठी चतुर्धर उपमन्यु काश्यप वाज यो बिनवारी) सावखे तेवारी काश्यप पतेरिया (शाहपुर) उपमन्य पस्तोरा (बंगा) सौतम उपाध्याय गौतम चाबे (रूपनोयार) साहित्य पांड गङ्गली (मराई) एतडिव कौशिक, विश्वामित्र, जमदग्नि. धनत्रय, शाण्डित्य मित्र (हमीरपुर) कोयस, सोमिया, मेवाया प्रमुनि गोब पोर पाठक पजेरिया (कोटके) खामो, समाध्याय, मनस, बिरखारो, चनपुरो, माटिया, मौनस मिश्र (करिया) बरसिया, धोका, मोदिया, सेंधिया, उदेलिया, चों- तेवारी (एनक) भारद्वाज दिया प्रमृति उपाधि भो हावे हैं। दुबे (उठासनी) बालो कनोनिया-यह चार श्रेणियों में विभव है- देगरी (ण्ठरेलो) .. १वारेन्द्र, २राढ़ीय, ३ पावासोर दाविवाद वस एकाविशिष्ट नायक (पियगे) बैदिक। किन्तु पाखात्यों चौर दाक्षिणात्याको भनेव . सनाका-बाप रहेसखण्ड के मध्यप्रदेशसे दुपाब- साम कमानिया अब नहीं मानते। के उत्तर एवं मध्यभाम, पोलीभोतसे म्वालियर, राम- पहली दोना वेरिकि नया अर्थात् वारेन्हों पुरके उत्तरपतिमांश, रोवा, बहानाबाद तथा नवाब' और सोयाने भादिका समय बरोबर बाबा गोय उपाधि पाठक (रोरा) मित्र
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/७३२
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