पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/७२६

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कानयन-बानारः कनयम (हिं० पु०.) रहल भेद, किमी किवा पहुंचाता और अपने शगेरको धुमा टांग सड़ा कर. चावल। यह काश्मीरम उपजता और खेतवर्ण| उम चित्त फटकारता है। रहता है। लोग इसे बहुत अच्छा समझते हैं। कनसार (हिं. पु.) ताम्रपत्रका लेख खौचनवासा, कनग्यो (हिं. स्त्री०) वृक्षविशेष, एक पौदा। इसे ! जो तांबेके पनरपर लिखता हो। गुल भी कहते हैं। कतीरा कनरयासे ही उत्पन्न कनसाल (दि. पु०) चारपाई का टेढ़ा छेद। इसके हाता है। कारण चारगई कुक टेढ़ी पड़ जाता है। कमरश्याम (हिं. पु०) रागविशेष, किमी किस्म का कनसुई (हिं. स्वा.) खटक, टाड, पाहट। गाना। इममें समस्त स्वर शुद्ध रहते हैं। कनसुर (हिं० वि०) १ मरवग्युक, जिसके अच्छो कनास (हि.पु.) १ मङ्गोतका अानन्द, माने । शवाज़ न रहे। २ अप्रमत्र, नागज । बजनिका मज़ा। २ सङ्गीत श्रवणका व्यसन, गाना- कनस्तर (अं० पु.3Canister ) टोमा दकस, बजाना सुननका चसका। टीमका पापा। यह चतुष्क प-विशिष्ट रहना और कनरमिया (हिं. पु.) सङ्गीतप्रेमी, गाना-बजाना घन, तेल प्रति वस्तु रखने में लगता है। महोबा देख सुननेका शौक रखनेवाला। इसौमें भर कर आता है। कनन्त (सं• त्रि.) कन्-अलच । प्रदीप्त, रौशन, कना (हिं० पु. ) फमनको उपजका अन्दान चमकोला। लगानेवाला, जो फसन कूतता हो। कनवई (हिं. स्त्री०) छटांक, पांच तोले। कनहार (हिं. पु.) कणधार, केवट, पतवार कनवक (सं० पु०) शूरपुत्रविशेष, वोरके एक बड़के। थामनेवाला मनाह। बनवा (हिं. पु० ) कनवई, छटांच। . कना (सं• स्त्रो०) कनिनास धातु-पच । १ कनिष्ठा, कनवांसा (हिं.पु.) दौहित्रपुत्त्र, नवासेका बेटा, सबसे छोटो उमनो। (.)२ कन्या, लड़की। सड़कीके सड़केका बेटा। कना (हिं. पु.) १ कण, दाना।२ काण्ड, कनवास (अं. पु०=Canvas) वस्त्रविशेष, एक । सरकण्डा । कपड़ा। यह मोटा रहता, पटसनसे बनता और जूते कनाई (हिं. स्त्री०) १ कोमल शाखा, पतनी डाम । . या नावकै पाल तैयार करने में लगता है। २ नवणाव, कहा, टहनौ। ३ पगडेके विका कनवो (हिं. स्त्री०) कार्यसभेद, किसी किसकी एक हिस्सा। कंपास। यह गुजरातमें अधिक उत्पन्न होती है। कनाड़ा (हिं० वि०) उपवन, एहमानमन्द, कनौड़ा। कनवौका बिनौला बहुत छोटा रहता है। कनागत (वि. पु.) पिटपक्ष, क्वार महोने का मधेग कनवोकेशन (अं.पु.-Convocation) विश्वविद्या! पाख। इसमें भारतवासी मृत पितरक उदृश्य लयका महोत्सव, युनिवरसिटौका एक जलसा। यह थाह-तर्पण किया करते हैं। प्रति वर्ष हुआ करता है। इसमें बो• ए० पादिको | कनात (तु० स्त्री.) स्थूलवस्त्र का प्रावरण विशेष, परीक्षा पास करनेवालों की सनद मिलती है। माटे कपड़ेका परदा। इसमें धाडी थाडो दग्पर कनसलाई (हिं. स्त्री०) १ कोटभेद, एक कौडा बसको फहिया सो सो कर लगाया जाता है। उनमें यह छोटे कनखजरे-जैसी होती है। सोते पादमौके | 'डोरो बंधी रहती है। इमी डागैके सहारे कनात मलाई पटाखौंच कर खंडों करते हैं। यह प्राय: डेरे या तम्ब में है। २ कुश्तीका कोई पेंच। इसमें एक पहलवान | लगती है। ट्रेमर पहलवान के अपनी कमर पर रखे हाथोंके नीचे कनार (हिं. पु.) अश्वगेगविशेष, घोड़े को एक बीमारो। अपना एक हाथ डाल बग़लकी राह उसकी गर्दनपर घाड़े को सर्दी या जुशाम हानका नाम कनार हैं। Vol. III 182