पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/७२५

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.२४ कनफुची-कनमें डी धन और मान मिलते भी हमें शरत्के टूटे-फटे मेधको , मान्दारन (मन्त्री), देशके विन एवं राजपुरुष इनको भांति देख पड़ता है। प्रतिमूर्ति पूजते हैं। कनफ चौके मन्दिरमें धूप, चन्दन- १४। ज्ञानी अपने में और अबोध दूसरे में प्राप्तव्य काष्ठ एवं गुग्गुल जलाया और सम्मुख परिष्कार पावमें विषयको ढूढते हैं। पुष्प, फल तथा मद्य सजाकर लगाया जाता है। उक्त १५। जो पढ़ो, उसे अपने कार्यमें परिणत करो पात्र में निम्नलिखित कई विषय खोदित रहते हैं- और प्रतिदिन कुछ कुछ नतन विषय सोखते रहो। हे कनफुचौ ! हे हमारे सम्माना शिक्षक ! तुम फिर पाप शिक्षादाता बन सकेंगे और लोग पापकी इस स्थानपर आ कर अधिष्ठित हो और भक्तिपूर्वक बात सुनेंगे। दी हुई इमारी यह पूजा ग्रहण करो। १६। अपने हृदय में विश्वास और दृढ़ता न ___ इन्होंने किसी दिन भूत भविष्यत् परकाल वा सृष्टि- रखनेवाला हमारे देखते चक्रहीन शकटके समान तत्त्व, मनस्तत्व, वस्तुतत्व इत्यादि विषयों पर मीमांसा है। वह जीवनके पथपर कैसे चलेगा! कननेको चेष्टा लगायो न थी। कनफ ची वर्तमानके १७। सोन प्रकारसे तीन लोगों के एकत्र होनेपर | सेवक रहे। यह इहजीवनको उबति और अवनति- शिक्षा सविधा पड़ती है। शिक्षार्थी सव्यक्तिका पर ही उपदेश दे गये हैं। इन्होंके उपदेश-बलपर अनुकरण और पसव्यक्तिको देख अपना दोष चीनवासी वर्तमानको उपासना उठा और दहजीवनको संशोधन कर सकता है। उबतिमें शरीर लगा महासुखपूर्वक उस कालसे १८। मनुष्यको बलपूर्वक सत्कार्य में लगा सकते, आजतक निर्वाह करते चले पाते हैं। किन्तु बसपूर्वक उसमें उसकी प्रवृत्ति पहुंचा नहीं कनफुसका (हिं• पु०) १ धीरे-धीरे बोलनेवाला, जो सकते। कानसे लगकर बताता हो। २ निन्दक, चुगलखोर। . १८। स्वभावसे मनुष्य एक ही देखाता, किन्तु | कनफुसकी (हिं. स्त्री०) १ धीरे-धीरे बोलनेवालो, व्यवहारसे भिन्न भिन्न बन जाता है। जो कानसे लगकर बताती है। २ निन्दा करनेवाली, २.। ईखरके निकट अपराधी होनेवाला व्यक्ति जो कुरोयो करती हो। ३ कानाफूसी, कानमें धीरे- किसके पास शरण लेगा। . धौर कही जानेवाली बात। २१। राजा धामिक रहनेसे न्याय एवं युक्तिके | कनफल (हिं. पु.) कर्णभूषणविशेष, करनफल, साथ कार्य करेगा और साहसके साथ बात कहेगा; तरवन, कानका एक गहना। किन्तु अधार्मिक होनेसे सावधान बात कहते भी न्याय | कनफेड़ (हिं० पु.) कनपेड़ा, कानके पास पड़नेवाली एवं युक्तिके साथ कार्य न करेगा। गिलटी। २२। नानी लोग इसी भयसे लज्जित रहते-हम | कनफोड़ा (हिं. पु०) करमोट देखो। अपने कार्य में पिछली कथाको अपेक्षा हीन पड़ते हैं। कनविधा (हिं० पु.) १ कर्ण छेदन करनेवाला, जो सहस्र दोष और सहस्र भ्रम मानते भी कन- कान छेदता हो। २ कान छेदाये हुआ। फचौके पादर्श पुरुष होने में कोई सन्देह नहीं। फिर कनभेडी (हिं. स्त्री०) वृक्षविशेष, एक पौदा। यह यह थोड़े विस्मयकी बात कैसे हो सकती है-किसी अमेरिकासे भारतमें पायी है। दूसरा नाम 'वन- प्रकार ऐश्वरिक क्षमताको दोहाई न देचीना पाजतक | भेंडी' है। बम्बईप्रान्तमें इसकी कृषि अधिक होती इनका उपदेश पालन करते पाते हैं। सोचनेसे विस्मित है। कनभेडी एक प्रकारका पटसन है। रेशा होना पड़ता है-चौना इनके प्रति १७६८ पुरुष ८e फीट लम्बा बैठता है। किन्तु कनभेंडी पटसनसे बीतते भी समभावसे सम्मान देखाते हैं। प्रति ग्राम पच्छी नहीं ठहरतौ। पत्र, पुष्प एवं फल भिंडोसे पौर प्रति नगर में इनका चित्र एवं मन्दिर स्थापित है।। मिखते है।