पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/७१

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इभराट-इमली । इमदादी (१० वि०) साहाय्यप्राप्त. जिसे मदद इभराट, इभराज देखो। इभशुण्डी (सं० स्त्रो०) हस्तिशुण्डो, हाथो सूड। मिले। इभषा (सं० स्त्री०) इभ-षा-ज-टाए । 'खोरी इमरतो (हिं० सी०) मिष्टानविशेष, एक भिडायो। पहिले उद की पोठो को खब बारीक बांट छोरठा इराख्य (सं० ए०) इभस्याख्या नास यस्य वा यस्मिन् । जिखाते हैं और दोजोको खूब पेंट डाचते हैं। फिर नागकेशर वृक्ष। छोटे चौखुएट सापड़े में यह फेंटो हुयो जोश रख इभानन (स.पु.) इनानामिवामन यस्य । गणेशा | दी जाती है और घोसाईलें डाल बर्म किया जाता है। गजानन कपड़ेको वोच एसद रहता है। वारा लूट इभारि (स• पु०) इस्तोका शत्र, सिंह, शेर। समिटकार उसे उठाते हैं और बलोलले घ टायो इभावती (सं० सी०) वटपत्री वृक्ष। चौग घुमा-तुकार सुपाते । गोल-गाल या उन इभी (सं० लो०) इस्तिनी, हथिनी। जानेपर फिर छले छोड़ दिल हैं। जायत इभोषणा (स. स्त्री०) इझोपपदा उषणा, शाक-तत् । छल्लेदार घेरा पकवार जान हो जाता हेपालीको गजपिप्पली, बड़ो पौधर। चाशनीने बोया जाता है। इतनह अन्तरता इभ्य (सं० पु०) इभ-य। १ शत्रु , दुश्मन् । २ हस्ति- बन जाती है और खाजमें बहुत अच्छी लगती है। पालक, हाथोका महावत। (बै० त्रि०) ३ भृत्य- इमली (हिं. स्त्री०) वृनविशेष, एक पेड़। यह वृक्ष सम्बन्धीय, नौकरके मुताल्लिक । ४ धनवान, दौलत बड़ा होता है और सदा हरा-भरा रहता है। डाको मन्द, जिसके बहुत नौकर रहें। लम्बायो ८० और चौड़ायो २५ फोटता होती है। इभ्यका (सं० स्त्री०) इभ्य स्वार्थ कन्-टाप् । १ हस्तिनी, सम्भवतः अफ़ोका और दक्षिण भारतमें इमन्नो गाने हथिनौ। २ शब्लको वृक्ष, लोबानका पेड़। आप उपजती है इसकी पत्ती पतलो और बहुत छोटी इभ्यतिखिल (वैत्रि०) इभ्यः तिलिव इव । अनेक होती है। लम्बी लम्बो फलो बागेक और कडे गूदेने हस्ती और अश्व. रखनेवाला, जिसके कितने ही। ढकी रहती है। काला और मैला इसका गांद किसी हाथी-घोड़ा हों। काममें नहीं आता। फल,फूल और पत्ती खुब खटायो इभ्या (सं० स्त्री०) इभमहतौति यत्। १ हस्तिनो, । होती है। पत्तियोंके भिगोनेसे लालरङ्ग उतरता है । हथिनी । २ शल्लको वृक्ष, लोबानका पेड़। इसके वीजको चीया कहते हैं। चीयायोंक परन से इन्यिका, इभ्य का देखो। जो तेल निकलता है,वह न तो सूंघनेमें किसो किम्मको इम, इदं देखो। गन्धही देता है और न खाने में मौठा ही लगता है। इमक, इदं देखो। भारतवर्ष में अनादिकालसे इमलीका औषधार्थ इमकान (अ० पु०) १ सम्भव, एहतिमाल । २ अंश, व्यवहार किया जाता है। हिन्दुवोंने हो अरबों को वजद। ३ शक्ति, मजाल, बस।। इसका उपयोग बताया था। वैद्यमतसे इमलो- इमकोस (हिं. पु.) प्रसिग्रह, तलवारका म्यान।। दाहहर, पाचन, अग्निवर्धक तथा रेचक होतो है इमचार (हिं० पु.) गुप्तचर, छिपा जासूस । और पित्तज व्याधिमें अधिक लाभ पहुंचाती है। इमथा (वै० अव्य.) इदं इवार्थे थाल, इमादेशश्च इसके खानेसे धतूरे और शराबका नशा उतर जाता है। निपातनात् वेदे। प्रब-पूर्व -विश्वे मात्थाल् छन्दसि । पा ५२१११ । दाल, तरकारी और चटनी में इमली पड़ती है। इदानीन्तन तुल्य, इसतरह। नमक, मिर्च, मसाला और तेल मिलाकर इसको इमदाद (अ. स्त्री० ) १ साहाय्यकार्य, मदद देनेका खटायो भी बनाते हैं। लड़के कोमल-कोमल पत्तियों - काम । २ दान, बख् शिश। और फलोको बड़े चावसे खाते है ।