पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/७००

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कदव-कदूर ६८e कदव (सं: पु०) कुसिताश्व, खराब घोड़ा। | नगरके स्थापनकर्ता जालिमसिंहके वंशसम्भूत और कदा (सं० अव्य.) किस समय, कब, कौन वक्तपर। उन्होंके एक कनिष्ठ माता रहे। कदाकार (सं. त्रि.) कुरूप, बदसूरत । आजकल कदान राज्य भारत गवरनमेण्टको कर कदाख्य (सं० लो०) १ कुष्ठौषध, एक दवा । (वि.) देता है। राजधानी कदान नगर महानदीके पविम २ निन्दित, बदनाम। तौर पर अवस्थित है। कदाच, कदाचन देखो। कदापि (सं० प्रथ०) समय-समय पर, कभी-कमो, कदाचन ( सं• अव्य. ) किसी समय, एक दिन, जब-तब। यह शब्द प्रायः 'न' के साथ पाता है। एक बार। कदामत (प्र. स्त्रो०) १ पुरातनत्व, पुरानापन। कदाचार (सं० पु०) कुः कुसितः पाचार: कोः २ प्राचीन समय, पुराना जमाना। कदादेशः। १ कुत्सित आचार, मन्द व्यवहार, बुरा कदामत्त (सं० पु.) कदाचित् मत्तः। ऋषिविशेष। चालचलन । (त्रि.) कुत्सित आचारो यस्य, बहुव्री।कदिन्द्रिय (सं. क्लो०) कुमितमिन्द्रियम्, कर्मधा। २ कदाचारी, बदचलन, बुरा काम करनेवाला। कुत्सित इन्द्रिय, खराब रुक्त। कदाचारिणी (सं० स्त्री०) कदाचारिन्-डोष बत्वच्च। कदी (हिं० वि०) कहो, हठो, कद रखनेवाला। अति मन्द व्यवहारवाली स्त्री, जिस औरतके बहुत कदीम (अ० वि०) १ प्राचीन, पुराना । (हिं. पु०) बुरा चालचलन रहे। २ लौहदण्ड, लाईको छड़। इससे जहाजोंमें बोभा कदाचारी (सं० वि०) कुत्सित प्राचारो ऽस्यास्ति, उठाया जाता है। कदाचार-इनि । मन्द व्यवहारकारी, बुरी चाल कदुष्ट (स• पु.) कुत्सित उष्ट्रः, कोः कदादेशः। चलनेवाला। कोः कत्तत्पुरुषे ऽचि। पादाश११। मन्द उष्ट, खराब बट। कदाचित् (सं० प्रव्य.) कदा पनिर्धारित चित्। कदुष्ण (म.ली.) कु ईषत् उष्णम, ईवदार्थ कोः दूसरे समय, एकबार। इसका संस्कृत पर्याय-जातु कदादेशः। १ ईषत् उष्ण, जरासी गर्मों। इसका और कहिंचित् है। संस्खत पर्याय कोण, कोण और मन्दाय है। ____ न पादौ धारयत कांस्य कदाचिदपि भाजने ।" (मनु ४॥६५) (वि०) २ ईषत् उष्णविशिष्ट, कुछ गर्म, जो ज्यादा कदान-बम्बईप्रान्तके रेवाकण्ठ जि.लेका एक देशीय जलता न हो। राज्य। यह पक्षा० २३.१६४से २३.३०३० “कदल्या: स्वरस: बेटः कटुचः कर्णपूरयः।" (सुचव), उ० और देशा० ७३.४३ से ७३.५४ पू०के मध्य | कदूर-महिमर राज्यका एक जिला। यह पंचा अवस्थित है। कदान राज्यसे उत्तर डूगरपुर तथा| १३. १२ से १३.५८ उ० पोर देशा• ७५.८ से मेवाड़ राज्य, दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व शुण्ड राज्य और ०६.२५ पू०के मध्य अवस्थित है। कदूर महिसुरके पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम लोनावर एवं रेवाकण्ठ नगरविभागका दक्षिण-पश्चिमांश है। इस जिलेसे राज्य लगता है। भूमिका परिमाण १३० वर्गमोल है। उत्तर शिमोग जिला, दक्षिण इसन जिला, पूर्व __ यह प्रदेश बन्धुर (ऊंचा-नीचा) है। पर्वत और चितल दुर्ग और पश्चिम पश्चिमघाट पड़ता है। वन चारो पोर परिव्याप्त है। राज्यके दचिवभागमें भूमिका परिमाण २८८४ वर्गमौल है। महानदी बहती है। इधरको भूमि उर्वरा है। उत्त ____ इस जिलेके पश्चिम-प्रान्तमें कुटुरेमुख (६२१५ रांशमें नदीके उपकूलपर एक अप्रशस्त भूभागको छोड़ फोट उच्च ) एवं सेरुतिगुह ( ५४५१ फोट उच्च ) भोर दूसरा समस्त भाग अनुवंर और पर्वतमय है। ई०के | मध्यभागमें बाबाबुदन (३२१४ फोट उच्च ) तथा शताब्द लिङ्गदेवजी (लिमदेवजी )ने यह राज्य कालहस्ती (११५५ फोट उच्च) गिरि खड़ा है। सिवा स्थापित किया था। वह पांचमहलके अन्तर्गत भालोद । इनके शेटे-छोटे कितने ही दूसरे पर्वत भी विवमान