इब्राहीम-आदिल शाह-इब्राहीम निजामशाह अपना भ्रमण-वृत्तान्त पुस्तकाकारमें लिखा है। उक्त । तत्पुत्र सुभान कुलीको राजा बना दिया। उस ग्रन्थमें भारतवर्षके ततसामयिक भाव, इतिहास, भूतत्व समय सुभानकी उम्र केवल बारह वर्ष की थी। इस- प्रभृतिका खासा विवरण मिलता है। १३३२ ई० में लिये राजभार ग्रहण करने में इसको बिलकुल पक्षम ये मक्के की तीर्थयात्रा करने गये थे। देख सब लोगोंने इब्राहीमको राज्यके लिये पसन्द इब्राहीम-आदिल शाह (श्म)-ये स्मायिल आदिलशाहके | किया। ये विजयनगरमें रहते थे। १५५० ई० को पुत्र, दक्षिण विजयपुरके सुलतान् थे। १५३५ ई०में | २८वीं जुलायीको गोलकुण्डेमें इन्हें राजपद मिला। इब्राहीम विजयपुरके सिंहासनपर बैठे थे । १५४३ इन्होंने अपर मुसलमान् राजगणके साथ योग ई०को इन्होंने अला उद्दीन इमाद शाहकी कन्या लगा विजयनगराधिप रामराजसे युद्ध किया और रबिया सुलतानासे विवाह किया था। और २४ वर्ष उन्हें मारकर समग्र देश अापसमें बांट लिया। तक राजत्व किया था एवं १५५८ ई में ये परलोक १५८१ ई०को ५वों जनको ३२ वष राजत्व करने सिधारे थे। बाद ये अकस्मात् मर गये। इनके पुत्र मुहम्मद इब्राहीम आदिलशाह (२य)-तहमास्पके पुत्र। इनका कुतुब शाह पीछे राजा हुये थे। दूसरानाम अबुल मुज़फ फर था। १५८० ई० के अप्रेल इब्राहीम खान्-अमीर-उल-उमरा अली मर्दान् खान्के ,मासमें 2 वर्षको अवस्था में ये दक्षिण-विजयपुर (बीजा पुत्र। १६५८ ई०के समय बादशाह आलमगीरने पुर)के सिंहासनपर बैठे थे। इनकी नाबालिगोमें कमाल इन्हें पञ्चहजारी बनाया था। पीछे इब्राहीम खांने खान और चांद बीबी सुलतानाने रक्षकको भांति इनके | काश्मीर, लाहोर, विहार, बङ्गाल प्रभृति स्थानक राज्यका कार्य चलाया था। प्रथम तो कमाल खां सरल | शासनकर्ताका भी पद पाया था। बहादुर के राजत्व भावसे ही रहते थे, किन्तु पीछे चांद बीबीसे बिगड़ पड़े कालमें इनकी मृत्यु हुयी थी। उस समय चांद बीबीके समान बुद्धिमती रमणी बहुत इब्राहीम खान फतेहजङ्ग-नरजहां बैगमके मौसा। थोडी थों। इन्होंने हाजी किशवर खांको अपने पास १६१६ ई०को कासिम खान्के पदच्य त होनेपर रख कमाल खानका प्राणवध कराया था। इसके | जहांगीर बादशाहने इन्हें चार हजार सिपाही सोप बाद किशवर खान् राज्यके संरक्षक बने। किन्तु उनके विहारका शासनकर्ता बनाया था। शाहजहांक अपने भी मारे जानेपर अखलास खानको राजकीय पद पिता जहांगीरसे विरोध करनेपर यह डांके लड़े मिला था। कुछ दिन पोछे दिलावर खानने अखुलास और अन्तको कट मरे। खानको आखें निकाल साम्राज्यका कर्ट व अपने हाथ इब्राहीम खान सूर-बयान शासनकर्ता गाजी खान के में लिया था। १५८० ई में इब्राहीमने दिलावरको पुत्र और मुहम्मद शाह आदिलोक भगिनीपति। राजकीय पदसे हटाया था और १५८२ ई में आंखें १५५५ ई में इन्होंने बहुसंख्यक संन्य संग्रहकर खिंचा उसको कैदहवाने पहुंचाया था। १६२६ यद्यपि दिल्ली और आगरा नगर जीत लिये थे तो भी ई०में ३८ वर्षे राजत्व करने बाद इनकी मृत्यु हुई। सिंहासनपर जमकर बैठ न सके। अहमद खान्ने इब्राहीम रौजा नामक इनकी कब्र विजयपुरमें बहुत | पञ्जाबमें बल बढ़ाकर युद्ध में इन्हें हरा शम्भलको भगा अच्छी बनी है। पत्थरकी दीवार पर कुरान्की आयतें | दिया और दिल्ली तथा श्रागरे पर अपना अधिकार अरबी हौ में खुदी हैं। इनके पुत्र मुहम्मद आदिल- जमा लिया। १५६७ ई०को उड़ीसेमें एक युद्ध हुवा शाहको सिहासनका उत्तराधिकार मिला था। था। उसोमें बङ्गालके नवाब सुलेमान्ने इन्हें को इब्राहीम कुतुब शाह-गोलकुण्डाके राजा कुली कुतुब मार डाला था। शाहके पुत्र। कुली कुतुब शाहके माता जमशेद इब्राहीम निजामशाह-बुरहान् निजाम शाहके पुत्र । कुतुब शाहका जब देहान्त हो गया, तब अमात्यवगने १५९५ ई के अपरेल मासमें इन्हें दक्षिण-अहमद-
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