पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६८७

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६८६ कदम्बद-कदर्थीकृत सकल ही पवस्थामें उसका गोलभाव रहता है। ऐसे (पु.) ३ खेतखदिर, सफेद खैर। इसका ही किसी वस्तु वा विषयका एक भाव बना रहनेसे संस्कृत पर्याय-सोमवल्क, ब्रह्मशल्य, खदिरोपम, 'कदम्बगोलकन्याय समझा जाता है। खेतसार, खदिर और सोमवल्कल है। भावप्रकाशके कदम्बद (सं० पु.) कदम्बदो घबर्थ कसर्षप, मतसे यह विशद, वर्णके लिये हितकर और मुख- सरसों। रोग, कफ तथा रक्तदोषविनाशक है। ४ वळूरक कदम्बनिर्यास (सं० पु०) कदम्बका वेष्टक, कद. वृक्ष, बबूलका पेड़। ५क्रकच, बारा। ६ अङ्कुश, म्बका सत। श्रांकुस। कदम्बपुष्प ( स० पु.) १ हरिद्रु वृक्ष, दारुहलदोका | कदर (अ॰ स्त्रो०) १ परिमाण, मेकदार। २ सत्- पड़। (लो०)२ कदम्बकुसुम, कदमका फल । कार, इज्जत, बड़ाई। ३ हिन्दीके एक मुसलमान कदम्बपुष्यगन्ध (सं० पु०) कलमशालि, एकप्रकारका कवि। इन्होंने अच्छी अच्छी ठुमरियां बनायी हैं। धान। कदरई, कदराई देखो। कदम्बपुष्या (सं० स्त्री०) कदम्बस्येव पुष्यमस्या स्ति, कदरज (हिं. पु.) १ पापोविशेष, एक गुनहगार। कदम्बपुष्य अर्श आदित्वात् अच-टाप । मुण्डितिका | | (वि.)२ कदर्य, कस। * वृक्ष, मुण्डोका पेड़। | कदरदान् (फा० वि०) गुणग्राहक, इज्जत करने- कदम्बपुष्पिका, कदम्बपुषौ देखो। वाला, जो बड़ाईको समझता हो। कदम्बपुष्यो (सं० स्त्री०) कदम्बपुष्यमिव पुष्पमस्याः, कदरदानो (फा० स्त्रो०) गुणग्राहकता, कदर कर कदम्बपुष्य-डीप । महाश्रावणिका, गोरखमण्डो। । नेका काम। कदम्बवादी (सं. पु०) कदम्ब इति वादः संज्ञा कदरमस (हिं• स्त्रो० ) ताड़नादि, मारपीट, लड़ाई • अस्त्यस्य, कदम्बवाद-णिनि । नोप जातीय एक कदम्ब।। झगड़ा। "कटम्मवादिनो नोपान् दृष्ट वा कण्टकितैरिव । कदरा (स. स्त्री.) कदर देखो। . समन्तती धाजमान कदम्बककदम्बकैः।” ( काशीखण) कदराई (हिं. स्त्रो० ) भारुता, कायरो, भाग जानेको कदम्बवायु (सं० पु.) सुगन्धवायु, खुशबूदार हवा।। आदत। कदम्बा, कदम्बौ देखो। . कदराना (हिं० क्रि०) भयभीत हाना, खोफ खाना, कदम्बानल, कदम्बवायु देखो। डर जाना। कदम्बिका (स. स्त्री०) कदम्ब वृक्ष, कदमका पेड़। कंदरी (हिं. स्त्रो०) पक्षिविशेष, एक चिड़िया । कदम्बो (सं. स्त्रो०) कदम्ब-डोष । देवदालौ। इसका पाकार-प्रकार मेनासे मिलता है। लता। देवदालो देखो। | कदर्थ (सं• पु०) कुत्सितोऽर्थः, काः कदादेशः। कदर (स• लो०) कं जलं दृणाति दारयति नाश- १ कुत्सित अर्थ, खराब चोज़। २ पदार्थ, चीज़ । यति इत्यर्थः, क दृ-पच । १ पायसविशेष, जमा हुआ (त्रि.) ३ कुत्सित अर्थ कारो, बेमाना, बेफायदा। दूध। २ क्षुद्ररोगविशेष, टांको, गोखरू। कङ्कर कदर्थन (स क्ला०) कु-पथ ल्युट। वेदना, व्यथा, एवं कण्टक प्रभृति द्वारा पदतल में क्षत पड़नेपर कुपित | तकलीफ। वायु पित्त, कफ, मेद तथा रक्तको दूषित बना वेदना | कदथना (सं० स्त्री०) कदर्थन-टाप् । विडम्बना, बुराई। और साधयुक्त बेरको गुठली-जैसो जो गांठ उठाता, | कदर्थित (सं० त्रि.) कु-अर्थ-णिच्-ता। १ दूषित, वही रोग कदर कहाता है। बिगड़ा हुआ। २ विडम्बित, बुस बनाया हुआ। चिकित्सा-अस्त्र द्वारा कदरको निकाल तप्त तैल | ३ घणित, नफरत किया हुआ। तथा अम्निसे उक्त स्थान जला देना चाहिये। । कदर्थीकृत (सं. पि.) अकदथै कदर्थः करोति, .