६८४ कदम्ब यह है-कदम्बासर अतिशय शिवभक्त रहे। उनके मधुकेश्वर, मधुकेश्वरके पुत्र मल्लिनाथ और मल्लिनाथके निवट एक शिवलिङ्ग था। उस शिवलिङ्गके कारण ! पुत्र चन्द्रवर्मा थे। चन्द्रवर्माके दो पुत्र रहे। उनमें देवता भी उनका कुछ कर न सकते। समय-समय एकका २य चन्द्रवर्मा और दूसरेका नाम पुरन्दर था। देवतावोंको उनसे भय मानना पड़ता था। कृष्णन २य चन्द्रवर्माके दो पत्नी रहौं। एक पत्नीको वह इन्द्रसे मुनिका रूप बना कदम्बके पास जानेको कहा। खके पास जानको कहा। वलभीपुरक देवालयमें छोड़ पाये थे। उन्होंके गर्भसे इन्द्र मुनिका रूप बना कदम्ब के पास पहुंचे थे। मयरबर्माका जन्म हुआ। चन्द्रबर्मा वनवासमें ही इधर कृष्ण सुन्दर रमणीका रूप रख गाते गाते मर गये। पुरन्दरके सन्तान न रहनेसे मयरवर्मा कदम्बासुरको देख पड़े। विजनमें रमणीको मूर्ति वनवासीके राजा बने। वही सर्वप्रथम उत्तरभारत- देख वदम्ब विमुग्ध हो गये और मुनिरूपी इन्द्रके से पश्चिम उपकूलको ब्राह्मण ले गये थे। उसी निकट शिवलिङ्ग छोड़ अपनी मनोमोहिनीकी ओर समयसे ब्राह्मण वनवासौमें रहने लगे। मयूरवर्माके दौड़ पड़े। उसी समय सहायहीन देख इन्ट्रने वज़ पुत्र २य त्रिनेत्रकदम्ब रहे। उन्होंने चण्डालराजके फेंक उन्हें मार डाला था। कदम्ब चिर दिनके इस्तसे उद्धार कर गोकर्णातीर्थ में ब्राह्मणोंको बसाया लिये भूमिशायी हुये। किन्तु उनका पवित्र आत्मा था। उन्होंके राजत्वकाल ब्राह्मणोंने हैब और तुलबमें शिवमय बन गया। - जा उपनिवेश डाला। कदम्बाको असुर बतानेका कारण क्या है? ____शिलालिपिको वर्णनाके अनुसार मयरबर्मा ही बोध होता-पहले यह लोग तापी नदीतीर असभ्य वनवासौके प्रथम राजा रहे। शिव और पृथिवीसे अवस्था में रहते और दूसरे हिन्दुवों पर अत्या. उनका जन्म हुआ था। शिलालिपिमें वनवासोके चार करते थे। इसीसे पुराणकर्तावोंने इन्हें असर कदम्ब राजावोंकी वंशकारिका इसप्रकार लिखी है- कहा है। ठोक मालूम नहीं पड़ता-किस समय दक्षिणदेश में सर्वप्रथम कदम्बोंने राजस्व प्रारम्भ किया मयूरवर्मा (१म) था। दक्षिण-देशीय प्रवाद और कर्णाटी ग्रन्थके अनुसार कृष्णवर्मा कदम्बके प्रथम राजा त्रिनेत्रकदम्ब रहे। दक्षिणदेशके नागवर्मा (श्म) ऐतिहासिक उन्हें १६८ ई०का व्यक्ति बताते हैं। विष्णुवर्मा - मयरवर्म चरित्र प्रभृति कई दक्षिण-देशीय संस्कृत मृगवर्मा बन्यों में कदम्बराजके सम्बन्धपर इस प्रकार लिखा है- त्रिपुरासुरके निधनकाल महादेवके ललाटमे एक सत्यवर्मा विन्दु धर्म कदम्बकोटरमें गिर पड़ा था। उसी मिन्टुसे विजयवर्मा किसी विमेव पुरुषने जाग्रहण किया। कदम्बके जयवर्मा कोटरमें जन्म होनेसे उनका नाम विनत्र वा त्रिलोचन नागवर्मा (श्य) कदम्ब रखा गया। वही कदम्बवंशके आदिपुरुष .रहे। उन्होंने वनवासौ* (जयन्तीपुर) नामक जन- शान्तिवर्मा (१म) पदमें अपनी राजधानी स्थापित की। उनके पुत्र कीर्तिवर्मा (१म) आदित्यवर्मा • वनवासी-जनपद पुरायोंमें वनवासक वा वानवासक नामसे पमिहित है। चट्ट, चय वा चट्टम + किसीके मतमें महादेव और पार्वतीसे विलोचनकदम्बका जन्म जयवर्मा (२य) वा जयसिंह चाचा
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६८५
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