कब-कदम्ब कदपा शब्द संस्कृत कृपा शब्दका अपभ्रंश है।। पैरका फासला। ३ धलि वा पङ्कपर अस्ति पदचिह्न, कोई कहता-गदप शब्दसे 'कादपा' बना है। तेलङ्ग पेरका निशान्। ४ अश्वगतिविशेष, घोड़ेको एक गदप शब्दका अर्थ' हार' है। तिरुपती जानेका पथ चाल। इसमें घोड़ा ख ब जमकर पैर उठाता और रहनेसे ही गड़प (कड़पा) नाम पड़ा है। सवार बड़ा पाराम पाता है। न तो उसका शरीर विजयनगरवाले राजावोंके समय कदपाको अच हिलता और न काई धक्का हो लगता है। पहले सुखसमृद्धि रही। उस समयका प्राचीन नगर अब पहल घोड़े को कदम ही सिखाते हैं। लगाम कड़ी देखने में नहीं पाता। उसीके पाखंपर कदपा नगर न रखनेसे यह चल बिगड़ जाती है। स्थापित हुपा है। ई. १८वें शताब्दके प्रारम्भमें कुदमचा (फा. पु.) १ पदार्पण करने का स्थान, कुदपाके नवाबने यहां स्वतन्त्र राजधानी डाली थौ। पैर रखनेको जगह। २ खट्टी। कदब-महिसुर-राज्यके तुमकुर जिलेको एक तहसील। कदमबाज. (प. पु. ) कदम चलनेवाला घोड़ा। . इसकी भूमिका परिमाण ४०५ वर्गमौल है। प्रधान कदमा (हिं. पु०) मिष्ट खाद्यद्रव्य विशेष, एक नदी शिमशा उत्तरपूर्व से दक्षिणमुख बहती है। मिठाई। यह कदम्बके पुष्य-जैसा बनता है। वङ्ग- कदब और गन्धि नामक दोनों स्थलोंपर इसी नदोके देशके राढ़ अञ्चलमेंएकदमाका प्रचुर व्यवहार है।. ग में दो हद विद्यमान हैं। इस जिलेका सदर कदम्ब (सं० पु०) कदि-अम्बच्। छकदिकडिकटिभ्यो मुकाम गब्बी है। उसमें पदालत और थाना मौजूद है। ऽम्वच्। उण् ।८। १ वृक्षविशेष, कदमका पेड़ । इस जिले में दबीघाटेके निकट एक प्रकारका (Anthocephalus Cadamba) इसका संसक्कत पर्याय- खनिज पदार्थ मिलता है। अंगरेजीमें उसे हारन- नीप, प्रियक, हरिप्रिय, कादम्ब, षट्पदेष्ट, प्रावषण्य, बलेण्ड ( Horn-blend ) कहते हैं। यह धातु इलिप्रिय. वन्तपष्य, सरभि. ललनाप्रिय, कादम्बये, काचको शलाका-जैसा लम्बा और ढालू रहता है। सीधुपुष्य, महाव्य और कर्णपूरक है। इसको हिन्दी इसके तीन रङ्ग हैं-कृष्ण, हरित् और खेत। एवं बंगलामें कदम, कर्णाटीमें कदबेदु, तामिलमें अंगरेजीमें कृष्णवर्णको हारनन्लेण्ड (Horn-blend), | बेलकदम्ब, तैलङ्गमें कोदम्ब, रुद्रथा, कदिमोमा या हरिद्वर्णको प्राकिनोलाइट (Actinolite) और कदपचेत कहते हैं। खेतवर्णको ट्रिमोलाइट ( Tremolite ) कहते हैं। ___ यह सुन्दर वृक्ष भारतवर्ष, ब्रह्म और सिंहलमें इस पदार्थ में मैगनेशिये, घने और लोहेका अश, उत्पन्न होता है। उंचाई ७०से ८० फौट तक रहती विद्यमान है। है। कदम्ब बहुत शोघ्र बढ़ता है। पहले दो-तीन इस जिलेके कदब ग्राममें श्रीवैष्णव ब्राह्मणोंका वर्षतक सालमें यह काई १० फौट ऊंचा पड़ता है। एक उपनिवेश है। इसे लोग अनेक दिनोंका प्राचीन किन्तु ११२ वर्षे बाद बाढ़ घटने लगती है। ग्राम कहते हैं। ग्राममें एक वृहत् सरोवर विद्यमान कदम्ब सदाबहार पेड़ है। पत्र महुवेके पत्रोंसे मिलते, है। शिमशा नदीमें बांध डालनेसे ही उक्त सरोवर | किन्तु कुछ क्षुद्र और भासुर लगते हैं। कदम्ब वर्षा निकला है। प्रवाद है-रामचन्द्र लङ्का जोतन पोछे ऋतुमें फूलता है। पुष्प गाल और पीतवर्ण होते प्रत्यावर्तनके समय यह बांध बना गये थे। हैं। किन्तु पोत किरण झड़ जानेसे वही पुष्प गोल कदभ्यास (सं० पु.) कुत्सितोऽभ्यासः, कर्मधाः । एवं हरित्वर्ण फल बन जाते हैं। फल पकनेपर मन्द अभ्यास, बुरी आदत । लाल निकलते हैं। लोग उन्हें अचार या चटनी में कदम (हिं. पु.) १ कदम्बवृक्ष, एक पेड़ । कदम्ब देखो । व्यवहार करते हैं। फलोंका स्वाद खटमिट्ठा लगता २ढणविशेष, एक घास। है। कभी-कभी कदम्बको पत्तो मवेशियों को खिलायो कदम (प. पु.) १ पद, पैर। २ फलांग, डग, | जाती है। काष्ठ मृदु एवं खेतवर्ण रहता, किन्तु
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