क इन्द्रियाविन्-दूब्नबतूता विश्वदेव्यस्य मतो। पादाश१३१। इति दीर्घः । इमियविशिष्ट,। कैक । इन्धल, मृगशिरा नक्षत्रके उपरिस्थित रुक्त या ताकत रखनेवाला। पांच तारा। इन्द्रियाविन् (संत्रि०) इन्द्रियं प्राशस्त्येन वास्त्यस्य इन्साफ, इनसाफ देखो। वहु०, विनि। प्रशस्त इन्द्रिय-विशिष्ट, अ इबरायनामा (फा० पु.) त्यागपत्र, जिस कागजमें रखनेवाला। अपने हक छोड़नेकी बात लिखी जाय। इन्द्रियासङ्ग (सं० पु० ) आत्मसंयम, खुशी पौर | इबरानो (अ० वि० ) १ यइदी, यहूद जातिसे सम्बन्ध रामसे बेपरवायो। रखनेवाला। (स्त्री०) २ यहूदियोंकी भाषा। इन्द्रियेश (स० पु०) १ जीव, जान्। २ इन्द्रियका | इवलीस (अ० पु०) पिशाच, शैतान्, खबोस । देवता। इवादत (प. स्त्री० ) पूजा, अर्चना, बन्दजी। इन्ट्री (हिं) इन्दिय देखो। इबादतगाह (अ० स्त्री०) मन्दिर, पूजा करनेको जगह। इन्द्रोजुलाब (हिं. पु०) मूत्र लानेवाला औषध, इबारत (अ० स्त्री०) १ प्रबन्ध, वाक्य-रचना, जुमलेको पेशाबर दवा। भारतमें प्रायः प्राधा जल और आधा बनावट। २ भाषा, लेख, जवान, सज-तहरीर। टुग्ध मिलाकर इन्ट्रीजुलाब. लिया जाता है। शोरा सालङ्कारको रङ्गोन, प्रबलको जोरदार, विस्तीर्ण की वगैरह खानेसे भी पेशाब बहुत उतरता है। इसमें तूल-तवील और शिथिल भाषाको लचर इबारत ठण्डी ही चीज पड़ती है। मूत्र रुकने पर भात या खिचड़ी खाना चाहिये। इबारत-पारायी (प्र. स्त्री०) शब्द चित्र, लफजोंकी इन्द्रज्य (सं० पु०) वृहस्पति । सजावट। इन्द्रेश्वर (सं० पु.) इन्द्रेण स्थापितः ईश्वरः शिव इबारती (अ. वि.) लेखसम्बन्धोय, लिखावटके लिङ्गम्। शिवलिङ्गविशेष । मुताल्लिक। जो सवाल लिखकर लगाया जाता हो, इन्द्रोक्तरसायन (सं० क्लो०) १ इन्द्र कथित रसायनवर्ग। वह इबारती कहाता है। २ ऐन्द्री, कुदरू। ३ महाश्रावणी। इब्तिदा (अ॰ स्त्री० ) १ आदि, आरम्भ, शुरू। इन्द्रोपल (सं० लो०) नीलहीरक, काला हीरा।। २ उत्पत्ति, पैदायश, निकास । इन्ध (सं० पु) इन्ध करणे घञ् । १ दीप्ति, चमक । इब्तिदायो (अ० वि० ) १ प्रस्तावना-रूप, तमहोदो। २ ऋषिविशेष। ३ प्रदीप, चिराग। (त्रि०) ४ सुलगा | २ अग्रा, आद्य, साबिक, पहला। देनेवाला, जो जलाता हो। | इब्न आबू उसैबिया-एक मुसलमान् ग्रन्थ कार। इन्हें इन्धन (सं० लो०) इन्धे दीप्यतेऽनेन, इन्ध करण ल्य ट।। सुवफिफक-उद्-दोन अबू अब्बास अहमद भी कहते थे। १ काष्ठ, लकड़ी। २ अग्निके ज्वालनार्थ तृणकाष्ठ, ! इन्होंने ई० के १३वें शताब्दमें संस्कृतसे अरबोभाषामें भाग जलानेकी लकड़ी। (त्रि.)३ अग्निको चैतन्य 'प्रयन्-अल-अम्बा-फि-तबकात-उल-अतिब्बा (अर्थात् करनेवाला, जिससे भाग जले। वैद्यसम्प्रदाय सम्पर्कीय सवाद-निर्भर ) नामक ग्रन्थका इन्धनवत् (सत्रि०) इन्धनं प्रज्वालनं विद्यते. अनुवाद किया था। भारतवर्षीय जो-जो प्राचीन वैद्य ऽस्मिन्, मतुप। ज्वालायुक्त, जलता हुवा । विदेशमें पहुंचते, उन सबका कुछ-कुछ विवरण इस । इन्धन्वन् (वे० त्रि) इन्धनमत्वन्धीयः, वेदे वनिप ग्रन्थमें लिखा जाता था। १२६८ ई० में इनकी निपातनात् अलोपः। ज्वालायुक्त, जो जल रहा हो। मृत्यु हुई थी। इन्नर (हिं. पु०) मसाला मिला हुवा गायका दूध । | इब्नबतूता-अरबके एक भ्रमणकारी। मुहम्मद यह गाय व्यानेसे दश दिनके भीतर ही बनता है। तुग़लकके समय यह भारतवर्षमें ही थे। मुहम्मदने इम्बका (सं० स्त्री०) इन्च इव काययति, इन्व-पर इन्हें दल्लीका विचार-पति बनाया था। इन्होंने
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६८
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