पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६४२

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कट तित-कट पविका कतिक्त, कट तिक्तक देखो। गुणविशिष्ट होता है। विशेषत: उससे मूत्रक्वच्छ रोग कट तिक्तक (सं० पु.) कट चासौ तिताचे ति, लग जाता है। कट-तिक्त अल्याथै कन्। १किराततितक, चिरायता। सर्षपतैलके द्वारा आयुर्वेद मतमें अनेक रोगनाशक २ महाशणवृक्ष, पटसन। ३ शशक्षुप, सनका पेड़।। तेल बनते हैं। इनके बनने से पहले तैलपर मूळपाक कट तिक्तका, कटुतितिका देखो। लगाना पड़ता है। कट रेलमूच्छा देखो । कट तिक्ता (स. स्त्री०) विपाके कटुः स्वादे तिता। कटुतैलमूर्छा (सं० स्त्री० ) कड़वे तेलको सुन कराई। १ कट तुम्बी, कड़ वो लौको। २ कट तुण्डो, कड़वो पच्छे कड़ाहमें डाल कड़वे तेलको पहले धीमी आंचसे तरोई। पकाते हैं। फेन मर जानपर चल्हे से उतार उसमें कट तिक्तिका (स. स्त्री०) कटुतिक्त स्वार्थ कन्- मञ्जिष्ठा, पामलको,हरिद्रा, मुस्ता, विल्वत्वक, दाडिम- टाप अत इत्वम्। महाशण, पटसन। २ कटतुम्बो, । त्वक, नागकेशर, कृष्णजीरक, बालक, नलुका एवं कड़वी लौकी। विभौतकको क्रम-क्रम पत्थरपर पीस और पानौसे कटुतिन्दुक (स. पु.) कुचेलक, कुचिला। घोल तैलमें छोड़ देना चाहिये। चार सेर तेल बनाने- कटुतुण्डिका (स. स्त्री०) कटुतुण्ड स्वार्थ कन् में २ पल मनिष्ठा सेर जल और दूसरा द्रव्य दो-दो टाप पत इत्वम्। तिक्त-तुण्डो, कड़वो तरोई। यह तोले पड़ता है। मूर्छित कट तैल आमके दोषको कट, तिक्त तथा कफ, वान्ति, विष, अरोचक एवं दूर करता है। रक्तपित्तनाशक और रोचन होती है। (राजनिघण्ट) कट वय (सं० क्लो०) कट ना कटुरसानां वयम्, ६-तत् । कटुतुण्डी (स० स्त्री०) कटु तीव्र तुण्डमस्याः। विकट, तीन कुड़वो चीजोंका इकठा। सोंठ, मिर्च तिक्ततुण्डी, कड़वी तरोई। इसका संस्कृत पर्याय- और पीपल एकमें मिलानेसे कट वय प्रस्तुत होता है। तितातुण्डी, तिताख्या और कटका है। कट तुहिका देखो। वाभटमें लिखा-कट त्रयके सेवनसे स्थ लता, अम्नि- कटुतुम्बिका, कट तुम्बो देखो। मान्य, खास, कास, श्लोपद और पीनस रोग नष्ट कटुतुम्बिनी (स स्त्री०) तिक्तालाबु, कड़वी लौकी। होता है। कटतुम्बी (स० स्त्री०) कटुश्चासौ तुम्बी चेति, कर्मधा। कट विक, कट वय देखो। तिक्तालाबु, कड़वी लौकी। इसका संस्कृत पर्याय- कट त्व (सं० क्लो०) कड़वाहट, चरपराहट, झल। इक्ष्वाक. कटकालाब, नृपात्मजा, कटतिक्तिका, कट-: कट दला (सं० स्त्री०) कटदलं पत्र यस्याः, बहुव्री। फला. तबिना कट तखिनी, वृहत फला, राजपुत्री, कटी, ककडी। तिक्तवीजा और तुखिका है। राजवल्लभके मतसे कट दुग्धिका (सं. स्त्री०) तितालाब, कडवी लौकी। कटुतुम्बी कट, तीक्षण, वमनकारक, शोधक, लघुपाक कट निष्याव ( सं• पु० ) कट चासौ निष्पाबचे ति, और खास, वायु, कास, शोथ, व्रण, शूकविष, पाण्डु, कर्मधा० । नदीतीर उत्पन्न एक निष्याव धान्य, कमि एवं कफनाशक होती है। अलावु देखो। दरया किनार होने और पानी में न डूबनेवाला एक कटतेल (स'• क्लो० ) कटु तीक्षण तैलम्, कर्मधा० । अनाज। सार्षप तैल, कड़वा तेल। भावप्रकाशके मतसे यह बाव, कट निष्याव देखो। अग्निदीपक, कटरस, कटुपाक, लघु, शरीर-वशता- कट पत्र (सं० पु.) कट : तीव्र पत्र यस्थ, बहुव्री। मारक लेखन. उष्णस्पर्श. उष्णवीर्य. तीक्षण, रक्तपित्त- १ पर्पट, पित्तपापडा। २ सितार्जक मोटो दृषितकर और कफ, मेद, वायु, प्रशोरोग, शिरोरोग, तुलसी। कर्णरोग, कण्ड, कुष्ठ, कृमि, धवल और दुष्टतणनाशक | कट पत्रक, कट पत्र देखो। है। राई और सफेद सरसोंका तेल भी इसी प्रकार कट पत्रिका (सं० स्त्री० ) कट पत्र यस्याः, कट पत्र- ___Vol. IIL 161