पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६४१

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कट कवल्लो-कट ता बबई, गन्धहण, महागन्धरण, राजिका, जंगली बबई, । कट काटव्य (स को०) कट च तत् काटव्यञ्चेति, कासमद, वनतुलसी, विडङ्ग, कट फल, खेत निसिन्धु, कर्मधा०। १ अत्यन्त कर्कश वाक्य, निहायत कड़ी नील निसिन्धु, कुकुरमुत्ते, इन्दुरकर्णी, पाना, ब्राह्मण- | बात। २ गालीगलौज। यष्ठिका, काकज, काकासा, महानिम्ब ) और कट कापाली (स. स्त्री०) कण्टकपाली वृक्ष, एक पेड़। सालसारादिगण (साल, पियासाल, खदिर, खेतखदिर, कट कारोहिणी (सं० स्त्री.) कट की, कुटको। विट खदिर, सुपारी, भूर्जपत्र, मेषशृङ्गो, निन्दुक, कट कालाबु (सं० स्त्री०) कट कश्चासौ अलावुश्चेति, चन्दन, रक्तचन्दन, शिशु, शिरीष, बक, धव, अजुन, कर्मधा। तिक्ततुम्बी, कड़वी लोको।। ताल, करन, छोटे करत, कृष्णागुरु, अगुरु, लता- कट को (सं० स्त्री.) कट खार्थे कन्-डोष् । कट का, शास)को कट कवर्ग कहते हैं। कटको। कट कवली (सं० स्त्री०) कट का चासौ वन्नी चेति, | कट कोग्राम-विहारप्रान्तके चम्पारन जिलेका एक कर्मधाः। कटी नाम लताविशेष, कड़वी लौकीको प्राचीन ग्राम। (भविष्य अन्नखए ४२८२) बेल। यह कटु, शीत एवं रुच्य पाती और कफ, कट कौट (स• पु०) कट तीक्ष्णः दंशनेन दुःखप्रदः स्वास, तथा राजयक्ष्माको मिटाती है। (राजनिघण्ट) कौटः, कर्मधा। मशक, मच्छड़, डांस। कट कशर्करा (सं• स्त्री०) पित्तश्लेष्म ज्वर पर एक कट काटक (सं० पु०) कट कोट स्वार्थ कन् । मशक, योग। इसमें एक-एक तोचे कट रोहिणी और मसा। शर्करा पडती है। • कट क्वाण (सं• पु०) कट: कर्कश: क्वाण: शब्दो कटु कस्नेह (स' पु०) सर्षपवृक्ष, सरसोंका पेड़। । यस्य, बहुव्री०। टिटिभ पक्षी, टिटिहरी। कटका (सं• स्त्री०) कटु संज्ञायां कन्-टाप् । १ कटुकी, कट ग्रन्थि (सं० क्लो०) कट स्तोत्रो अन्थिमूल अस्व, कुटकी। इसका संस्कृत पर्याय-जननी, सिला, | बहुव्री०। १ पिप्पलीमूल, पिपरामूल। २ शण्ठी, रोहियो, तितरोहिणी, चक्राङ्गी, मत्स्य पित्ता, वकुला, | सौंठ। ३ लशुन, लहसुन। शकुलादनी, सादनी, शतपर्वा, विजाङ्गी, मलभेदिनी, कट इन्ता (सं० स्त्री०) कट, दूषितं करोति, कट- अशोकरीहिणी, कृष्णा, कृष्णभेदी, महौषधी, कटी, क-ड-लुम् पृषोदरादित्वात् तल्-टाप । नित्यकम अचनी, काण्डकहा, कट, कट रोहिणी, कट क- | एवं प्राचारको निठुरता, खराब चाल। रोहियो, केदारकदुका, अरिष्टा, पामनी, कटम्बरा, कटुचातुर्जातक (सं० ली.) चतुभ्यो जातकं खार्थ क चुम्भरा और अशोका है। राजवल्लभके मतमें कट का अण, कटु च तत् चातुर्जातकच्चेति, कर्मधा। इला- पति-कट, तिक्त एवं शीतल और पित्त, रक्ता, दाह, यची, तज, तेजपात और मिर्च का इकट्ठा । कफ, परचि, खास तथा ज्वरनाशक है। २ ताम्बूली, | कटुच्छद (स० पु०) कटुच्छदं पत्रमस्थ, बहुव्री०। पान। ३ कुलिकक्ष। ४ राजसषेप, राई । ५ कट- १ तगरवृक्ष, तगरका पेड़। २ सुगन्धाजंक, खु.शबू- तुम्बी, कड़वी लौकी। दार तुलसी। कट काख्या (सं० स्त्री०) कट की, कटको। कटज (सं० वि० ) पेय पदार्थ की भांति कड़वे कट काद्यलौह ( स० लो०) शोथके अधिकारका द्रव्योंसे प्रस्तुत किया हुआ, जो अर्क की तरह कड़वी एक वैद्यकोक्त औषध, सूजनको एक दवा। यह | चीज़ास बना हो। कट की, विकट, दन्ती, विड़ा, त्रिफला, चित्रक, देव- कटजीरक (सं० पु.) जीरक, जीरा दाक, त्रिवित् और गजपिप्पली बराबर हिगुण लौहमें कटुता (स'• स्त्रो०) कट-तल-टाप । १ उग्रता, मिलान से बनता है। दुग्धके साथ इसे सेवन करनेपर भड़क। २ तीक्ष्य ता, तेजी। ३ अप्रियता, मारानी। गोधरीम विनष्ट होता है। (रसरबाकर) ४ कर्कशता, कड़ापन। ५ कड़वाहट ।