कटाक्षमुष्ट-कटाह नाटक पादिमें पात्रों को प्रांखोंपर बाहरी ओर | कटारी (हिं०. स्त्री० ) १ अस्त्रविशेष, कटार। २ एक जो छोटी और पतली काली काली रेखायें लगायो औज़ार। इससे हुक बनानेवाले नारियलको खुरच- जाती, वह भी कटाक्ष कहलाती है। कटाक्ष हथियों- खुरच चिकनाते हैं। ३ मार्ग में पड़ा हुया तीक्ष्णाग्र को आंखोंपर भी बनते हैं। काष्ठ, राइको नोकदार लकड़ी। पालकौ ढोनेवाले कटाक्षमुष्ट (सं० त्रि०) अपाङ्ग दर्शन द्वारा ग्टहीत, कहार राहमें पड़ी नोकदार लकड़ीकी कटारी कहते जो नज़ारसे ही पकड़ा गया हो। हैं। कारण पैर पड़ जाने से वह कटारीको भांति कटाक्षविशिख (सं० पु०) प्रीतिका वाण-जैसा अपाङ्ग घुस जाती है। दर्शन, मुहब्बतको तौर-जैसी तिरछी नज़र। कटाल (स.वि.) कटोऽस्यास्ति, कट-लच-त्रात्वम्। कटाक्षवेक्षण (सं० स्त्री०) कामुक दृष्टिका निक्षेप, सिमादिभ्यश्च । पा ॥२।१७। मन्द गण्डगुल्ला, जिसके अच्छी प्यारको निगाहका इशारा। कनपटी न रहे। कटाग्नि (सं० पु०) कटेन तृणादि वेष्टनेन जाती कटाली (हिं. स्त्री०) भटकटैया। ऽग्निः, ३-तत्। वणादिके वेष्टनसे उत्पन्न किया कटाव (हिं पु०) १ छेदप्रच्छेद, काट-छांट, कतर- हुमा अग्नि, जी आग घास फस डालकर जलायो थोत। २ कृत्रिम पत्रपुष्पादि, बनावटी बेलबूटे। गयो हो। यह काटकर बनाये जाते हैं। "समावपि तु भावव ब्राझण्या गुप्तया सह। कटावदार (हिं.वि.) कृत्रिम पत्रपुष्पविशिष्ट, बना- ___विक्ष तौ शूद्रबहख्यौ दग्धव्यौ वा कटाग्निना ॥” ( मनु २७७) वटी बेलबूटेवाला। जिस पत्थर या लकड़ीपर बेलबूटे कटाछनी (हिं. स्त्री०) १ वध, कत्ल, मारकाट । कटते, उसे कटावदार कहते हैं। २ युद्ध, लड़ाई। ३ तक, बहस। कटावन (हिं. पु.) १. कटाव, काटका काम । कटाटङ्क (सं० पु.) शिव, महादेव । विच्छिन खण्ड, कटा हुपा टुकड़ा। कटाना (हिं. क्रि०) १ छेद कराना, काटनेमें | कटास (हिं. पु.) १ कटार, खोखर, किसी किस्मको गाना। २ डसाना, दांतों से फड़ाना। ३ घूमकर जंगली बिल्लो। २ पन्जाबप्रदेशको वितस्ता नदीके जाना, घुमाना, बचाना। तौरका एक तीर्थस्थान। यहां सतघरा मन्दिर बना कटायन (सं० क्लो०) कटस्य पासन-विशेषस्य अयन है। इस तीर्थ का दर्शन लेने बहुतसे लोग पाया करते उत्पत्तिस्थानम्, ६-तत्। वोरण, खस । हैं। कटास में ही चीन-परिव्राजक युएन चुयङ्ग वर्णित कटार (सं० पु०) कटं कन्दमदं ऋच्छति, कट- 'पुण्यप्रस्रवण' था। ऋ-अण । १ कामी, शहबतपरस्त । २ लम्पट, कटासी (हिं॰ स्त्री०) शवके गाड़नेका स्थान, कबरि- छिनाला करनेवाला। (हिं. स्त्री०) ३ अस्त्रविशेष, स्तान, जिस जगहमें मुर्दा गड़े। . एक इथियार। यह छोटी और तिकोनी रहती कटाइ : (सं० पु०) कट उत्तापादिकं पाहन्ति निवा- और दोनों ओर धार पड़ती है। कठारको | रयति, कट-आ-इन्-ड। १ कच्छपका कपर, कछुवेका मारते समय पेट में घुसेड़ देते हैं। ४ वनबिलाव, खपड़ा। २ होपविशेष, बड़े मुल्लका एक हिस्सा। जंगली बिल्लो। ३ तैलपाकपात्र, घी या तेल गर्म करनेका छिछला कटारा (हिं० पु.) १ अस्त्रविशेष, बड़ी कटार। बर्तन। ४ विषाणाग्रभागविशिष्ट जायमान महिष- २ इमलीका फल ।' यह कटार-जैसा बना होता है। शिशु, सौंग निकलता. पंडवा। ५ नरकविशेष, . ३ टकटारा। जहन्नुम । ६ कबूर, कचर। ७ कूप, कूवां । कटारिया (हिं० पु० ) वस्त्र विशेष, एक रेशमी कपड़ा। ८ सूर्य, आफ़ताब। ८ कड़ाह, कड़ाही। १० सूप। . इसमें कटार-जैसो रेखायें डाली जाती हैं। । ११ ढह, टोला।
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६३७
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