कछराक्षसतैल-कछार . कच्छुराक्षसतैल (सं० लो०) भावप्रकाशोत कच्छुरोग-। आदि उत्सवमें काम देता है। ४ पाचविशेष, एक नाशक तैलविशेष, खुजलीका तेल। सर्षपका तैल बरतन। इसमें डालकर कपड़े को काछते हैं। ८ सेर, कल्कार्थ मनःशिला, हरिताल, होराकष, कछरा (हिं० पु.) घटविशेष, एक घड़ा। यह गन्धक, सैन्धव, स्वर्णसीरी, पाषाणभेदी, शुण्डौ, कुष्ठ, मोका बनता और मुह चौड़ा रहता है। इसमें जल, पिप्पली, विषलाङ्गला, करवीर, चक्रमर्द, विङ्ग, दुग्ध वा अन्न रखते हैं। कछरेको आठ अंची और चित्रक, दन्तो एवं निम्बपन तोले-तोले, अकवृक्ष मजबूत होती है। बालकोंको कछरा-बछरा कहते हैं। एवं सिजका सार पल-पल और गोमूत्र १६ सेर मृदु कछरालो, ककरालो देखो। अग्नि के उत्तापसे पका गात्रपर मलनेसे दुःसाध्य कच्छ, कछरौ (हिं० स्त्री० ) छोटा कछरा, गगरौ। पामा, कराड, प्रन्यान्य चर्मरोग तथा रक्तदोष आदि कछवारा (हिं. पु.) क्षेत्र विशेष, काछीका व्याधि दूर होते हैं। इसमें शाकादि बोते हैं। कच्छाल ( स० पु०) शेलुवृक्ष, लसोड़े का पेड़। कछवाहा (हिं. पु०) क्षत्रियविशेष, राजपूतोंकी कच्छरौ (सं० स्त्री०) धातको, धायका फूल। | एक जाति। कोई कोई कछवाह भी कहता है। कच्छ (सं० स्त्री.) कषति हिनस्ति देहम्, कष-ज राजपुत देखो। छान्तादेशच। कषेकश। उप राहा १ कच्छरोग, कछवीकेवल (हिं. स्त्री.) मृत्तिकाविशेष, एक खारिश्त। कछु देखो। (हिं. पु.) ३ कच्छप, | मट्ठी, भटकी। यह चिखरनेसे सफेद पड़ जाती है। कछुवा। कछान (हिं० पु.) घुटनेपर चढ़ा धोतोका पहनाहा। कच्छूना, कच्छु नौ देखो। कछार (हिं. पु.) १ कच्छ, दरयाके किनारको कच्छुनो, कछुन्नी देखो। जमीन। यह पा, पौर निम्न रहता है। कछार कच्छमतो, ककुमती देखो। नदीको मृत्तिकासे पटकर बनता और खूब हरा-भरा कच्छर, कच्छु र देखो। देख पड़ता है। कच्छरा, कच्छ रा देखो। . २ आसामप्रान्तका एक जिला। यह पक्षा. कच्छष्ट (सं• पु०) कच्छप, कछुवा। २४. १२ एवं २५° ५०० और देशा०८२८ कच्छेष्टा (सं० स्त्री० ) भद्रमुस्ता। तथा ८३ २८ पू०के मध्य अवस्थित है। क्षेत्रफल कच्छोटिका (सं• स्त्री०) कच्छो पटन् बाहुलकात् ३७५० वर्गमौल लगता है। जिलेके प्रबन्धका हेड- कन् अत इत्व टाप च भोकारादेशः। कच्छो, चांग।। | क्वाटर सिलचर नगरमें है। कच्छोत्या (सं० स्त्री.) मुस्ता, मोथा। ___ कछारसे उत्तर कोपिली एवं दिया नदी, पूर्व कच्छोर (सं• को०) केन शिरसा च्छोय्यते लिप्यते, | मणिपुर राज्य तथा नागापर्वत जिला, दक्षिण लुशाई कर-घन । शठी। या कुको जातिके रहनेका पावत्य प्रदेश और पश्चिम शची (स. स्त्री०) कचु-डी। कच-नामक कन्द सिलहट और जयन्ता पर्वत है। १८०५ ई०को विशेष, अरवी, घुइया । दक्षिण सीमाको ओर एक आभ्यन्तर रेखा खींची गयौ कछना (हिं. पु०) परिधानवस्त्रविशेष, किसी। थी। गवरमेण्टको अनुमतिके व्यतिरेक कोई उसको किस्साको धोती। यह घुटनेपर चढ़ा पहना जाता है। पार कर नहीं सकता। कछनी । Eि स्त्री०) १ परिधानवस्त्र विशेष, किसी इतिहास-कितने ही कछारी राजा श्रासामके अधि- कि.स्मको धोती। इसे घुटनेपर चढ़ाकर पहनते हैं। कांशपर आधिपत्य कर गये हैं। १८३० ई०को जब २ छोटौ धोती। ३ वस्त्रविशेष, एक पहननेका अन्तिम कछारो राजा मारे गये और उनके उत्तराधि- कपड़ा। यह घाघर-जैसा होता, पौर रामलीला | कारी न रहे, तब अंगरेज इस प्रान्तके अधिपति बने ।
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६२१
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