कच्छ पावर विभागमें ही पहले काठी जातिको राज- | नामक जनपदका वर्तमान नाम कच्छ है। ( Ariana धानी रही। यह स्थान देय में ५० एवं प्रस्थमें २० Antique, 2-2 ) ई०से ११४ वर्ष पहले मिनान्दरने मोल विस्तत और रणके दक्षिण किनारे अवस्थित है। यह स्थान जीता था। इसको दक्षिण सीमापर चावड गिरिमाला है । पावर ६४० ई०में चीना परिव्राजक युअन-चुयङ्ग यहां का प्रधान नगर भुज है। १९०५ संवत्को खङ्गाने आकर दशावतारके अनेक मन्दिर देख गये थे। उसे स्थापित किया था। उन्होंने लिखा-यह जनपद मालवराज्यके अन्त- . जाम अवड़ाके नामानुसार प्रवड़ासा विभागका गत आता और यहां अनेक धनवानोंका वास पाया नाम पड़ा है। यह विभाग चावड़ गिरिमाला और | जाता है। परबसागरके मध्य अवस्थित है। मियानी विभाग पूर्वकालको कच्छ देशमें काठी और अहीर जातिका पावरसे पूर्व लगता है। मौना जातिसे इस स्थानका प्राधान्य रहा। उसी समय काठियोंने पावरगढ़ में यह नाम पड़ा है। दुर्भेद्य दुर्ग बनाया था। कच्छके दक्षिण भाग पर्यन्त आजकल जिसे लोग कच्छ उपसागर उसीको पहले उनका अधिकार रहा। प्रनतत्त्वविदोंने काठियोंकों कांठी कहते थे, पाश्चात्य भौगोलिक टलेमिने उक्त शक वा जित् जातिको एक शाखा ठहराया है। उपसागरका नाम रखा। (Ptolemy's Geog: सम्मारोंके बढ़ने पर काठियोंका प्रताप घटा। फिर Bk. VII. Ch. I.) ई०के १५श शताब्द जाम अवड़ेने काठियोंको एक- पेरिप्लासने वारक नामसे इस उपसागरका उल्लेख कालही कच्छ प्रदेशसे भगा दिया। किया है। उनकी वर्णनासे समझ पड़ता, कि कच्छमें तारीख -उस्-सिन्द नामक मुसलमानी इतिहास में बारक नामक एक हीप रहा। कोई कोई स्थानीय लिखा है- ऊखामण्डलको परिप्लास्वर्णित बारक होप मानते खाफोरके मरनेसे देशके सब मान्यगण्य सम्भ्रान्त हैं। किन्तु हमारी विवेचना में बारक हारका शब्ट्का व्यक्ति अमरके पुत्र एवं पृथुके पौत्र दूदाको सिंहासन अपभ्रश मात्र है। मागधी भाषामें हारकाके स्थान- देनेपर एकमत बने। अभिषेकका कार्य सम्पन्न हुआ पर बारबवा या बरबवा शब्द चलता है। आजकल था। किसी दिन सिंहार नामक एक जमीन्दार कर भी जैन बषिक् कहाँ कहौं मागधी भाषा बोलते हैं। देने आये। ददासे उनका पालाप परिचय हुआ। " अतएव बोध होता-परिप्लासने किसी वणिको सन्धान सिंहारने दूदाको भय देखा कहा था-कच्छ प्रदेशको ले बारक नामसे हारका उल्लेख किया है। शम्मा जाति स्थान स्थान पर आक्रमण करनेको आगे टलेमि-वर्णित उक्त कांथी या कांठी उपसोरगके बढ़ रही है, अब आपको तैयार हो जाना चाहिये। नामसे ही कच्छ प्रदेशके कांठी विभागका नाम संवाद मिलते ही दूदा ससैन्य कच्छ प्रदेश पहुंचे। चला है। यहांके सब लोगोंने उनको वश्यता मानी थी। फिर इतिहास-कच्छ प्रदेशका प्राचीन विवरण नहीं शम्मा जातीय लाखा नामक एक व्यक्ति राजदूतके मिलता। महाभारतमें इस जनपदका नाममात्र रूपमें कच्छके घोटकादि उपहार ले दृदाको राज- लिखा है। (भारत भौम सा५६, जेन हरिवंश १२६८) सभामें उपस्थित हुये। दूदाने धन, रत्न और वस्त्रादि लोगोंमें प्रवाद है-पहले कच्छ प्रदेशका तेज | द्वारा राजदूतका सम्मान रखा (१० १२श शताब्द) । नामक प्राचीन नगर सुराष्ट्र राज्यको राजधानी रहा। शम्मा या जाड़ेजा राजा अपनेको श्रीकृष्ण पौर तेजकण नामक एक राजाने उसे बसाया था। यादवगणके वंशधर बताते हैं। उनकी वंशावली ( Asiatic Researches, Vol. Ix. 231.) विलसन | पढ़नेसे समझते-धौवष्णपुत्र नरकासुरके पुत्र वाणा- साहबके मतमें ट्राबो वरित सिनतिन (स्त्रीगत) सुर और उनके वंशधर शोणितपुर तथा मिसरमें
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६१३
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