कच्चिदध्याय-कच्छ १११ . निश्चीयते, चि-क्किए पृषोदरादित्वात् मस्य दत्वम् ; | कचूर ( स० पु० ) कचु नामक कन्दशाक, कञ्च चिञ्च हयोः समाहार इति वा। १ प्रश्न, घुश्या, बंडा। . क्या, कौन, क्यों। २ हर्ष, खु.यौ। ३ मङ्गल, कच्चे-पक्के दिन (हिं० पु०) ऋतुके सन्धिका समय, भलाई। ४ स्वीय अभिलाष प्रकाश, अपनी खाशिका मौसम तबदील होनेका वक्त । इन दिनों खल्प पाहार इजहार। करने और ब्रह्मचारी रहनेसे मनुष्य सुख पाता है। कच्चिदध्याय (सं० पु०) महाभारतका एक अध्याय। कच्चे-बच्चे (हिं• पु०) छोटे-छोटे लड़के, बहुतसे बच्चे। इसमें भङ्गीक्रमसे नारदने राजनीतिका उपदेश दिया कच्चोर (सं० लो०) गठी, कचर। है। (भारत, स० ५ अ०) कच्छ (सं. पु०) केन जलेन कृणाति दीप्यते छाद्यते कच्ची (हिं० स्त्री०) १ न पकी हुयी, जो पक्की न हो। वा, क-छो-क! तोऽनुपसर्ग कः। पा ।।३। १ जलका २ सखरी, दाल-भात या रोटौ दाल। जी रसोई घी निकटवर्ती स्थान, कछार, पानीके पासको जगह। या दृधमें पकायो नहीं जाती. वह 'कच्ची' कहलाती २ नदी वा सरोवरका प्रान्तभाग, दरया या तालाबके है। पूरी तरकारीका नाम 'पक्की' है। कान्यकनादि सामनेका मैदान। ३ नदी पर्वतादिका समीपस्थान, ब्राह्मण अपने सम्बन्धियोंके अतिरिक्त दूसरेके हाथको दरया पहाड़ वगैरहका पड़ोस। ४ नौकाका अव- कच्ची नहीं खाते। अधिक दिन न चलनेवाले काम- यवविशेष, नावका एक हिस्सा। ५ परिधानवस धामको 'कच्ची असामौ', न खुली कली या अप्राप्त अञ्चल, धोतीको कांछ। ६ तुबकद्रुम, तुनका पेड़।' यौवना एवं पुरुषसे समागम न करनेवाली स्त्रीको ७ नन्दोवक्ष। ८ जलमय देश वा स्थान, पानोसे भरी 'कच्ची कली', न पकनेवाली या आधी राह चल चुकने हुई जगह। ८ प्राचीन राजधानीविशेष, एक पुराना वाली चौसरको गोटीको 'कच्ची गोटी, न पकी हुयी। शहर। १० कच्छपका अवयवविशेष, कडुवेका एक मट्टीको गोलीको 'कच्ची गोली', दिनके भाग हिस्सा। (त्रि.) केन जलेन छुपाति दीप्यते वा, या २४ मिनटको 'कच्ची घड़ी', खरी चांदीको 'कच्चो छद-ड। ११ जलप्रान्तीय, पानीको जगहसे सरोकार चांदी', गलाकर ख, ब साफ न की हुई शकरको 'कच्ची रखनेवाला। चीनी', ठीक तौरसे न बिके हुये मालके लेन-देनको। ___ "नदी कच्छौज कान्तमुच्छि ध्वजसन्निभन्।" (भारत, सम्भव ००१०) बहीको 'कच्ची जाकड़', सरकारी कानन्के विरुद्ध (हिं० ) १२ छन्दोविशेष, एक छप्पय । इसमें ५३ गुरु, घराज रीतिमे सादे कागजपर उतारी हुयी नकल- ४६ लघु, ८८ वर्ण और १५२ मात्रा रहता हैं। को 'कच्ची नकल', पहली पेशीको 'कच्चो पेशी', किसी, १३ कच्छप, कछुवा । दुकान या कारखानका नादुरस्त हिसाब रखनेवाली १४ भारतवर्षके पश्चिम प्रान्तका समुद्रतौरव एक बहीको 'कच्ची बहीं', पक्की मितीसे पहले पड़ने या प्रदेश। यह अक्षा० २२०४६ से २४. उ० और देशा रुपये मिलने तथा चुकनेवाले दिनको 'कच्ची मिती', ६८० २२ से ७१.३° पू.के मध्य अवस्थित है। इससे केवल जलसे बने भोजनको 'कच्ची रसोयौं', प्रतिदिनके उत्तरपूर्व एवं दक्षिणपूर्व रण, दक्षिण कच्छका उप- पायव्यय लिखे जानेको बहोको 'कच्ची रोकड़', राबसे सागर, पश्चिम अरब सागर और उत्तरपश्चिम कोरी ज सो निकालकर बनायी हुयी चीनीको 'कच्ची शक्कर', या लखपत नदी है। कंकड़-पत्थरसे न पिटौ हुयो सड़कको 'कच्ची सड़क रण या जली हुयो उषरभूमिमें खड़ियेका होप, और दूर दूर डोभ रखनेवाली सिलाईको 'कच्ची । पच्छम और बबी नामक भूभाग विद्यमान है। । हैं। किताबके सब फरमे एकहो साथ कच्छ के प्रधान विभाग यह ९-१पावर, २गरद, सौये जानका नाम भी कच्ची सखाई ही है। पथक ; ३ वडासा, ४ कुणु, ५ कांठा वा काठी, कञ्च (हिं. स्त्री०) कच; परवी, घुइया। ६ मियानी एवं ७ बागड़।
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६१२
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।