पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५९२

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कंसक-कंसर्ट ५८१ सौभपति टुमिल उन्हें देख कामके वश अधीर हुये।। वाला। यह एक जाति है। वृहहर्मपुराणके मतमें फिर कौशलसे परिचय पा और उग्रसेनका रूप बना ब्राह्मणके औरस और वेश्याक गर्भसे कसेरे उतपन उन्होंने उनके साथ रमण किया था। किन्तु उग्रसेन हुये हैं। किन्तु ब्रह्मवैवर्तपुराणमें लिखते-विश्वकर्माने पत्नीको अपने पतिको अपेक्षा उनका गौरव अधिक शूद्राके गर्भसे मालाकार, कर्मकार, शङ्ककार, कविन्दक, देख सन्देह हुआ और उन्होंने 'कस्य त्वम्' कहकर कुम्भकार और कंसकार- शिल्प कर उत्पादन परिचय पूछा। परिचय पाते ही द्रुमिलका वह किये थे। उशना कहते हैं-क्षत्रियाक गर्भ और तिरस्कार करने लगौं। द्रुमिलने कहा-अनेकानेक वैश्य औरससे तन्तुवाय तथा कसकारको उत्पत्ति मानवपत्नीने व्यभिचारसे हो देवसदृश पुत्र उत्पादन | है। सुतरां इस जातिको उत्पत्तिके सम्बन्धपर बड़ा किये हैं। सुतरां व्यभिचारमे तुम्हें भी कोई दोष गड़बड़ है। फिर भी उक्त तीनों मतोंसे यह जाति लग नहीं सकता। तुमने हमसे 'कस्य लम्' कह सकर-जैसी प्रतिपन्न होती है। जो हो, इस जातिको कर परिचय पूछा था। इसीसे तुम्हारे कस नामक वशिक संज्ञा प्रसिद्ध है। ब्राह्मण कंसकारोंका स्पष्ट शत्रुविजयी पुत्र उत्पन्न होगा। (हरिवंश ८५ अ०) जलादि ग्रहण करते हैं। दुराचार कस वयःप्राप्त होने पर अपने पिताको सकृष् (सं० पु०) कसं कष्टवान्, कंस वष-क्विप् । कारारुह कर स्वयं राजा बना था। यदुवंशीय श्रीकृष्ण, कंसको चोटो पकड़ कर घसीटनेवाले वसुदेवके साथ कसको भगिनी देवकोका विवाह होते भगवान् । समय आकाशवाणी सुन पड़ो-देवकोके अष्टम गर्भसे कसजित (स.पु.) कसं जितवान, कस-जि-क्विप। उत्पन्न होनेवाला पुत्र कंसको मारेगा। इसप्रकार श्रीकृष्ण, कसको जीतनेवाले भगवान् । देववाणी सुन इस असुरने भगिनी और भगिनीपति कसताल (सं.पु.) झांझ, मंजौरा । वसुदेवको कारारुद्ध किया था। फिर कंसने एक कसपात्र (सं० पु०) कांस्यभाजन, कांसे का बरतन। एक कर उनके छह पुत्र मार डाले। देव-कौशलसे | २मान विशेष, एक नाप। इसमें चार सेर द्रव्य वसुदेव अष्टम पुत्र कृष्णको वृन्दावनमें नन्दघोषके । आता है। निकट छोड़ आये थे। उन्हों श्रीक्वष्णके हाथ कस कसबणिक (सं० पु.) कंसकार, कसेरा। मारा गया। कंस देखी। 'कान जिमि कंसपर।' (भूषण) कंसमाक्षिक (सं. क्लो०) स्वणमाचिक, संग-चकमक, ८ एक नदी। यह नदी कलिङ्ग देश है। इसके किसी कि.स्मको सोनामाखो। तटपर देवीका मठ बना है। उड़ीसा प्रदेशके बालेखर कंसयन (सं० पु०) यन्नविशेष। जिलेको कसवांस नदो ही कस नदी मालम पड़ती कसरटीना (अं० पु० = Concertina ) वादिवविशेष, है। कंसवांस देखो। एक बाजा। यह छोटो सन्दक-जैसा बना होता है। कसक (सं• क्लो०) केस संज्ञायां कन्। १ पुष्यका | कंसरटोनाको हस्तदयसे खोंच खोंच प्रतिध्वनित शीश, नयनौषध, कसोस। यह लोहेका मल है। करते हैं। इसे आंखमें लगाया करते हैं। कनसरवेटिव (अं. वि. -Conservative) १ संरचक, कसकर-पर्वतविशेष, एक पहाड़। यह एक क्षुद्र | मुहाफिज, बचाज। २ नवविद्दषो, स्थितिपालक, पर्वत है। प्राचीन कामरूपके अन्तर्गत इसको अव पुरानो लकीरका फकीर। इङ्गलेण्डको पारलिया- स्थिति है। वरुणकुण्डके निकट कसकरको महिमा मेण्टमें प्राचीन राज्यशासनका पालक और नवीन अपार है। (कालिकापुराण) परिवर्तनका विरोधी राजनैतिक दल ‘कनसरवेटिव' कसकार (सं.पु.) कंसं तन्मयपात्र करोति, कंस कहाता है। ल-भ-अम्। कर्मयाच् । पा शरा। क मेरा, घंटा ढासने-कंसर्ट (अं• पुom Concert ) १ सोत, तायफा,