पूष्ट कंडारी-कंध कंडारी (हिपु०) १ कर्णधारी, मांझी, नाव टेर। ४ गया-गुजरा आदमी, जो शख्स किसी चलानेवाला। कामका न हो। कडास (हिं• पु०) १ नरसिंहा, तुरही, करमाय। कंडौरा (हिं. पु०) १ गोहरौर, कडा पाथनेको यह बाजा पीतलको नलीसे बनाया और मुंहसे जगह। २ गोठौला, कंडा रखनेका घर । ३ बठिया, फककर बजाया जाता है। यन्त्र विशेष, एक कंडोका ढेर। इसके ऊपर गोबर लपेट देते हैं। औजार। यह कैंची जैसा बनता है। इसमें दो | कंत (हिं० पु.) १ पति, शौहर। २ प्रभु, मालक। सरकंडे बराबर बराबर एक साथ बांधे जाते हैं। यह शब्द संस्कृत 'कान्त'का अपनश है। . इसके बाद सरकडेको तिरछा लगा आमने- कतित (हिं. पु.) एक प्राचीन राजधानी। इसका सामनके हिस्सोंको पतली डोरीसे तानते हैं। ऊपरी । ध्वंसावशेष मिर्जापुरमें पश्चिमको ओर गङ्गा किनारे -सिरोंपर तागा बांधते और नीचेके सिरोंको भूमि में पड़ा है। वहां इसी नामका एक ग्राम भी विद्यमान गाड़ते हैं। इसीप्रकार कई कडाल दूर-दूर रहते हैं। है। कतितमें मिथ्यावासदेवकी राजधानी रही। जुलाहे इसपर ताना लगा पाई चलाते हैं। कंथ, कंत देखो। कंडी (हिं. स्त्री०) १ छोटा कडा, लंबी उपरी। कदला ( स० पु०) १ सोने या चांदीका तार। २ शुष्कमल, गोटा। ३ कठी, छोटा हार। ४ एक | २ सोने या चांदीको सलाख। ३ कन्दल, किसी टोकरी। यह लंबी और गहरी होती है। पहाड़ी किस्म का कचनार। सोने-चांदौके तारका कारखाना लोग इसे प्रायः व्यवहार करते हैं। कदला कचहरी और तार खींचनेवाला ‘क दलेक' कडील (हिं. स्त्री०) कन्दील, लालटेन। यह कहता है। मट्टो, कागज़ या अबरककी बनती है। कडोलका कदा (हिं. पु.) १ गूदेदार और बेरेशा जड़। मुंह अपर खुला रहता है। देवतावोंको प्रकाश | २ गोल, जमीकन्द। ३ शकरकंद। ४ घुझ्या, पहुंचाने लिये इसमें दोपक जलाकर रखते हैं। फिर| अरुई। कंडोल एक गड़े बांसपर रस्मोके सहारे चढ़ा दो कंदीत ( हिं० पु. ) देवगणविशेष। यह जैन शास्त्रानु- जाती है। कारीगर इसमें कागजको घूमती तसवीरें | सार वाणव्यन्सरके अन्तर्गत हैं। , लगा देते हैं। इससे कडोलकी शोभा दूनी देख कदील (प्र. स्त्री.) १ कडोल, बांसके अपर जलाकर पड़ती है। | चढ़ाई जानेवाली लालटेन। २ जहाजमें हगने-मूतने कडीलिया (हिं. स्त्री०) प्रकाशराह, रोशनी करनेका और नहाने-धोनेको जगह । ऊंचा धरहरा। समुद्रमें जहां शिलाखण्ड मिहत | कदवा, कनवा देखो।। रहते, वहां इसे प्रतिष्ठित करते हैं। इसका प्रकाश कंदुरी (फा० पु.) एक खाना। इससे मुसलमानोंमें पाकर जहाज, सक्त शिलाखण्डोंको बचा देते और बोबो फातमा या किसी दूसरे पोरका फातिहा अपना निष्कपटक मार्ग पकड़ लेते हैं। कंडोलिया | होता है। न रहनेसे जहाजोंके शिलाखण्डोंपर टकरा घर-चूर क देब (हिं• पु.) वृक्षविशेष, एक पेड़। यह हो जानेका भय रहता है। | पुवाग-जातीय वृक्ष है। उत्तर एवं पूर्व वङ्गमें कदेव कडुवा, नुवा देखो। उपजता है। काष्ठ सुदृढ़ रहता पौर नौकाकै स्तम्भमें कंडेरा (हिं. पु.) अर्णामार्जक, धुनिया, बेहना।। लगता है। पहले इस नातिके लोग धनुर्वाण निर्माण करते थे। | कटेला (हिं. वि. ) अपरिष्कार, गंदा, मैला। और (हिं• पु० ) १ जुवा, बालवाले अनाजको कंदोरा (हिं. पु.) कटिवन्धनविशेष, एक करधदी। क बीमारी। २ कडा पायनेकी जगह। ३ कंडका कंध (हिं. पु.) १ शाखा, डाल । २ स्कन्ध, कंधा।
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५८९
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