ओड़िका-ओतु श्रोडिका ( स० स्त्री०) धान्यविशेष, नीवार। यह ओढ़ाना (हिं. क्लो०) अन्यको आच्छादित करना, शोषण, रुक्ष, कफ-वायु-वृद्धिकर और पित्तनाशक | दूसरेको.ढांक देना। होती है। (राजवल्लभ) मोढ़ापलकषा (स. स्त्री०) गोरक्षमुण्डी, गोरखमुंडी। पोड़ी, ओड़िका देखो। भोणि (सं० त्रि.) गुण-इन्। १ अपनयनकारी, प्रोड्र (सं० पु०) श्रा-उन्दी-रक, दस्य डत्वम्। | बचा देनेवाला। (पु०-स्त्री०) २ सोमरस प्रस्तुत १ जवाकुसुमवृक्ष, गुड़हरका पेड़। यह संग्राही और करनेका एक पात्र। इसके दो भाग होते हैं। ३ केशहित होता है। (भावप्रकाश ) इसके सेवनसे मल स्वर्गमय, जमीन आस्मान्। ४ रक्षा करनेवाली शक्ति, और मूत्र रुकता है। (राजवल्लभ) पोड़ कटु, उष्ण, जो ताकत बरकरार रखती हो। ५ रक्षा, हिफाजत । इन्द्रलुप्तहर, विच्छर्दिजन्तुजनक और सूर्याराधन है। पीणी (सं० स्त्री०) ओपि देखो। (राजनिघण्ट) २ उड़ीसा मुल्क। उत्कल देखी। प्रायः श्रोत (सं० त्रि०) आ-वेज-त। १ अन्तर्याप्त, उत्कल के उत्तरांशको श्रीड़ कहते हैं। (त्रि.) भीतर भरा हुआ। २ बुना हुआ। ३ कपड़ेके ३ कल देशका अधिवासी, उडिया।' तानका सूत। (हिं. स्त्री०) ४ सुख, विश्राम, ओड़काख्या, प्रोडाख्या देखी। फुरसत, पाराम। ५ बालस्य, सुस्तौ। ६ लाभ, घोडदेश (सं० पु.) उत्कल, उड़ीसा। कायदा। ७ वल्पव्यय, किफायत । ८ अवशिष्टांथ, मोडपर्याय (सं० पु०) सूर्यकान्तपुष्यक्षुप, गोड़हरका बचत। पेड़। ओतपीदरम्-मन्द्राज प्रान्तके तेनिवल्लो जिलेको एक प्रोड़पुष्य (सं० क्लो०) प्रोडच्च तत् पुष्पञ्चेति, तहसील। इसका परिमाण १०८५ वर्ग मील है। कर्मधा०। १ जवाकुसुम, गुड़हरका फूल। २ जवा लोकसंख्या प्रायः तीन लाख निकलेगी। तूतकूड़ी कुसुमवृक्ष, गुड़हरका पेड़। नामक प्रसिद्ध बन्दर इसी तहसौलमें लगता है। श्रोत- पोड़पुष्या (सं० स्त्री०) जवावृक्ष, गुड़हरका पड़। पीदरम् ही प्रधान नगरका भी नाम है। घोडाख्या (सं० स्त्री०) प्रोड्रामाख्या यस्य, बहवी.।। ____ इसौमें इत्तियापुरम् की जमीन्दारी भी पड़ती जवापुष्प वृक्ष, गोड़हरका पेड़। है। भूमि काली और बगबर है। कहीं कहीं पोढ़ (सं०वि०) श्रा-वह-त। सम्यक् रूपसे वहन इमलीके बाग लगे हैं। रूई अधिक होती है। किया हुआ, जो अच्छी तरह ढोया गया हो। . समुद्र किनारे खेतबालुका भरी है। उसमें ताड़ पोढ़न (हिं० स्त्री०) अोढ़ाई, जिस्मको वस्त्रसे और बवूल होता है। साउथ इण्डियन रेलवे मदुरा- ढांकनेका काम। २ वस्त्र विशेष, गोदनेका कपड़ा। | से इस तहसीलमें आती है। मनियाची जशन मोदना (हिं० क्रि०) १ लपेटना, वस्त्रसे देह ढांकना। और तूतीकोरिन-टरमिनस है। ओतपोदरम् नगरी- २ पोड़ना, रोक रखना। (पु० ) ३ देहाच्छादन में तहसौलदारी है। वस्त्र, जिस्म ढांकनेका कपड़ा। ४ विस्तरको चद्दर। पोतप्रोत (सं० वि०) १ परस्पर सङ्गठित, एक “सासका मोदना पतोहका बिछौना" ( लोकोक्ति) दूसरसे लगा हुआ। (पु.)२ ताना-बाना। ३ विवाह चोदनी (हिं. स्त्री०) छोटी चद्दर या पिछोरी। विशेष, किसी किस्मकी शादी। इसमें एक-दूसरेको यह स्त्रियोंके ही काम आती है। लड़की लड़का दोनों देते हैं। ___“बोटनी को बतास लगौ।" (लोकोक्ति) श्रोता (हं० वि०) उस परिमाणवाला, उतना। पोढर (हिं. पु.), छल, बहाना, धोका। श्रोत (सं० पु. स्त्री.) अवति रक्षति गृहमाखुभ्या, चोदवाना (हिं. लो०) पाच्छादित करवाना, अव-तुन्-जट । सिवनिगमिमसिसच्यविधान, क्र शिवस्तुन् । भोढ़ाने के कामपर किसी दूसरेको लगाना। उम्। १।७। स्वरत्वरेत्यादि। पा ४८९ । १ विड़ान,
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५३३
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