४७३ ऐकार्य-ऐच्छिक समय विपरीत उच्चारण करनेवाला, जो पढ़ते वक्त. ऐवाकु (सं० पु०) इक्षाकुका सन्तान। विशडु उलटा बोलता हो। ! और रामको ऐक्षाकु कहते हैं। ऐकाथ्य (सं० ली.) एकार्थस्य भावः, एकार्थ- ऐगन (हिं.) अवमुख देखो। था। अर्थका ऐक्य, मानकी तौहीद। | ऐगन-चीन साम्राज्यस्थ उत्तर मंचूरियाके होलङ्ग- ऐकाहिक (सं० वि०) एकाहे भवम्, एकाह-ठक् । कियङ्ग प्रान्तका एक नगर। यह प्रमूर नदीके दक्षिण १ एक दिन साध्य, एक रोज़में होनेवाला। २ एक तटपर अवस्थित है। निकटस्थ भूमि उर्वरा है। दिनके अन्तरसे उत्पन्न, जो एक रोज़के फक से अनाज, तेल और तम्बाकूका व्यवसाय होता है। पैदा हो। १८.. ई०को बाकसर-युद्दके समय ऐगन सामरिक ऐकाहिक ज्वर (सं० पु.) एकाहभवो ठक, ऐका- कार्यो का केन्द्रस्थल था । लोकसंख्या प्रायः हिको ज्वरः, कर्मधा। एक दिन छोड़के आनेवाला २००००है। सौ दो सौ मुसलमान भी रहते हैं। पहले ज्वर, जो बुखार एक रोज़ रहकर चढ़ता हो। काक यह अमूर नदीके वाम तटपर अवस्थित रहा, किन्तु जङ्घा, बला, श्यामा, ब्रह्मादण्डी, कृताञ्जलि, पृश्चिपर्णी, १६८४ ई०को वहांसे हटा दक्षिण तटपर बसाया गया। अपामार्ग या भृङ्गराजका मूल पुष्थानचवमें यत्नपूर्वक १८५७ ई०को इस नगरमें चौनावों और रूसियों में उखाड़ लाल सूतसे रोगीके गले या हाथमें बांध देनेपर एक सन्धि हुई थी। उसीसे भमूर नदीका वाम तट ऐकाहिक ज्वर छूट जाता है। रूसियोंके अधीन हुआ। ऐक, एकट देखो। ऐगाल-बम्बई प्रान्तस्थ कनाड़ा जिलेके मन्दिर परि- ऐकर (अं• पु० = Actor ) नाटकका पात्र, स्वांगका चारक । यह अकोला तहसीलमें पाये जाते और अपनी खेलाड़ी। उत्पत्ति कश्यप तथा वशिष्ठसे बताते हैं। सम्भवत: ऐक्य (सं• लो०) एकस्य भावः, एक-ष्यञ् । १ एकता, ऐगल कोकणसे आ कर बसे हैं। कारवारके कोकणों- तौहीद। २ सादृश्य, बराबरी। ३ मेल। ४ पर में विवाहादि होता है। तिरुपतीके वेङ्कटरमण मात्मा और जीवात्माका संयोग। ५ संयुक्ता राशि। इनके कुलदेवता हैं। यह कोकणी और कनाड़ी दोनों खण्डोंके दैध्य और गाम्भीर्यका गुणनफल । भाषायें बोलते हैं। जंगलसे फल तोड़ मन्दिरोंमें पहुं- ऐक्षव ( स० वि० ) इक्षोविकारः, इक्षु अण । चान इनका काम है। गोविन्दराजपट्टनस्थ तैलङ्ग १ इक्षुसे उत्पन, जखसे सरोकार रखनेवाला। (लो.)। रामानुज ब्राह्मण तातयाचारो इनके दीक्षागुरु हैं। २ इक्षुविकार, गुड़ादि, चीनी इनमें विधवा-विवाहको प्रथा नहीं। शव जलाया जाता ऐक्षव्य (सं० वि०) इक्षु-सम्बन्धीय, ऊखसे पैदा। है। सामाजिक विवाद मन्दिरके मुखिया निबटाते हैं। ऐक्षुक (स० वि०) इक्षी साधु, इक्षु-ठक, निपा कुछ लोग अपने लड़के स्कूल भेजते, जहां वह कनाड़ी तनात् साधुः। १ इक्षुवध क, ऊखके लिये पच्छा। पढ़ते हैं। झाड़ फंक और जादू टोनेपर इन्हें २ इक्षु उत्पन्न करनेवाला, जो अख उपजाता हो। विश्वास है। गोकर्ण भिन्न दूसरे स्थानीय तार्थको यह (पु.) ३ इक्षु वहनकारी, ऊख ले जानेवाला। यात्रा नहीं करते। ऐगाल बड़ी सफाईसे रहते हैं। ऐक्षुभारिक (स० वि०) क्षुभार वहति, इक्षुभार- ऐमुद (सं• क्लो०) इङ्गुद्याः इदम्, इङ्गुदी-अण । ठक । इक्षुवाहक, जखका बोझ ढोनेवाला। १ इङ्गदी वृक्षका फल । इस फलसे जो तेल निकलता, ऐक्ष्वाक (सं० पु.) इक्ष्वाकोरपत्यम्, इक्ष्वाकु- वह ऋषियोंके व्यवहारमें चलता था। (पु.)२ इङ्गदी अण् । १ इलाकुका सन्तान । पुरुकुत्स और दशरथ- वृक्ष। (त्रि०) ३ इङ्गदी वृक्षसे उत्पन्न। को ऐलाक कहते हैं। (त्रि.)२ इच्वाकु वंशीय, ऐच्छिक (सं० वि०) इच्छया नित्तम्, इच्छा-ठक् । इक्ष्वाकुसे ताल्लुक रखनेवाला। .. | इच्छाधीन, मर्जीसे होनेवाला। _Vol. III. 129
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५१४
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