पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५०८

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एसिया-मादूनर सागर और रिनदेकस तथा मासेसतस नदो मारमोरा : सुपारी, अफीम, चावल, कालोन, नारियल, कच्चा- समुद्र में गिरती है। ग्रानिकम और स्वामान्दर पक्का चमड़ा, ऊन, रेशम, रेशमी कपड़ा, नम्दा, मोम, नोदको प्रधान नदी हैं। दूसरी नदियों के नाम हैं- पशु और खनिज पदार्थ बाहर भेजते हैं। कहवा, कैकस, हरमुस, केष्ट्रस, मैनदेर, इन्दस, स्कान्ट्रल, मेष्ट्रस, रूईका कपड़ा, कांचको चौज, लोहालंगड़,दीयासलाई, यरिमदन, गैलस, कैलिकेनस, सिडनस, सारस और मट्टीका तेल, नमक, नौनी वगरह बाहरसे मंगाते हैं। पिरमस। एसिया-माइनर में पक्को सड़कें बहुत कम हैं। एसिया-माइनरके प्रधान इद यह हैं-तुजगून्न, किन्तु मैदान में हरेक जगह हलकी गाड़ी चल सकतो बुलदुरगूल, अजीतुजगूल, वांशहरगूल, इगिरदिर है। हैदरपारीसे इत्तमिद, एस को शहर एव अंगोरे, गूल, इसनिकगूल, एबुल्लिबोण्टगूल और मनियसगूल। मुदनियेमे ब्रूसे और एमको शहरसे अथ्य नकरहिसार, इनमें पहले तीन खारी हैं। कोनिये तथा बुलगुरलोको रेलगाड़ी जाती है। उक्त यह प्रायोहोप अपने उष्ण और आकरज प्रस्रवणों- रेनवे जरमनोंक प्रबन्धसे चलती है। फिर स्मिरनासे के लिये प्रसिद्ध है। उनमें प्रधान यह हैं-यलोवो एटोन एवं दिनोर, मरसिनासे तारसस तथा आदाने मूसा, चितलो, तरज, एमकीशहर, तुजला, चश्मा, को जो अंगरेजो रेलवे लगी, वह फ्रान्सोसियोंके इन्तिजा, होरापोलिस, अलाशहर, तरजिली इम्माम, अधिकारमें पड़ा है। कोई जाति एसिया-माइनरके इस्कालिब, बोली और खवसा। अधिवासियोंको आक्रमणकर · निकाल भगा नहीं कारादागसे अरगाइस तक आग्ने यगिरिमाला खड़ी सकी। प्रधानतः यहां मुसलमान, ईसाई और यादी है। किन्तु आजकल उससे अग्नि नहीं निकलता। रहते हैं। ज'चे मैदान में जाडा बहुत दिनतक रहता है। उत्तर एसिया-माइनर युरोप और एसियाकै बीच पुल- प्रान्तपर बरफ अधिक गिरता है। उत्तर तटपर जैसा बना है। पूर्व और पश्चिमके लोग यहां प्राचीन मुसलधार पानी बरसता है। पश्चिम-तटपर जलवायु समयसे लड़ते आये हैं। पहले प्रादिम अधिवासी सम रहता है। ग्रीष्म ऋतुमें उत्तर वायु मध्याह्नसे एमिया-माइनरके अधिकारी रहे। उनके धर्म, भाषा- सायंकाल पर्यन्त चला करता है। एसिया-माइनर में व्यवहार और सामाजिक कार्य में कोई प्रभेद न था। फिटकरी, सुरमे, संखिये, कोयेले, तांबे, महाल, फिर हित्ताइनों का राज्य हुआ। बोगज-कि उई सोने: लोहे, सोसे, मिकनातीसौ लोहे, पार, नमक, उनके वैभवका केन्द्रस्थल था। उनके अद्भुत चित्र और चांदो, गन्धक, जस्त वगैरहको खानि है। · वृक्षादि शिलालेख मिमरना और यू फ्रेतसके मध्य कई स्थानों में जलवायु, भूमि और उच्चताके अनुसार विभिन्न हो मिले हैं। ई०से पूर्व ११श एवं १०म शताब्दके मध्य गये हैं। उत्तरकै पर्वत वृक्षोंसे हरे भरे हैं। अंगूर युरोपसे पार्यों को दूसरे देशमें जाकर बसना बन्द हो बहुत उपजता है। सेब, नासपाती, बेर, नीबू, नारंगो, रहा था। फ्राइजियामें आर्यो'ने एक राज्य संस्थापित गन्न', रूई, अफीम, चावल, केसर और तम्बाकूको किया। उसके चि अनेक शिला-समाधियों, दुर्गो', कोई कमी नहीं। सिवास विलायतका गई बहुत नगरों और ग्रीक पुराण में मिलते हैं। ई०से पूर्व अच्छा होता है। ब्रुसा और अमासियाके निकट टम वा पम शताब्द सिम्रोन फ्राइजीय शक्तिको भर रेशम ढेरका ढेर उपजता है। पशुवोंमें खच्चर अच्छ किया था। फिर सिम्रीय बल घटनेपर लोदिया अच्छे देख पड़ते हैं। राज्य बना, जिसका केन्द्र सरदिसमें रहा । सिम्मेरोयोंने , एसिया-माइनर कालोन, नग्दे, रूई, तम्बाकू. द्वितीयवार आक्रमण मार सारा लोदिया राज्य विनष्ट जन, रेशम, साबुन, शराब और चमड़ेका काम बनता | किया, किन्तु ई०से ६१० वर्ष पूर्व अलागतॊने उन्हें है। अनाज, रूई, बिनोला, सूखा फल, औषध द्रव्य, ! एसिया-माइनरसे निकाल दिया। अन्तिम नृपति