पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/४९०

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एरण्डा-एरोद इसमें एरण्डका मूल, बेलको छाल, चकवंड, सिंह- है। यहां राज्यके प्रधान कार्याध्यक्ष रहते हैं। अंगरेजी पुच्छी, जम्बीरमूल, पथरचटा और गोक्षुर २३२३ रेसिडंटसे मिलनेको दरवारका राजप्रासाद बना है रत्ती, यवक्षार, हिङ्ग, सैन्धव एवं एरण्डतैल १ कुछ सड़क पक्की हैं। अंजीकैमानके पास बड़ा माशे पड़ता है। बाज़ार बना है। एरण्डा (सं० स्त्री०)पा-ईर-अण्डच्-टाप् । १ पिप्पली, एरफेर. इरफेर देखो। पोपल। २ वहन्तीवृक्ष, बड़ी दांतोका पेड़। एराक (अ० पु.) १ सङ्गोतस्थान विशेष, गानेका एक एरण्डादि (सं० पु०) एरण्डादि द्रव्यवर्ग, मुकाम। २ अरबके अन्तर्गत एक प्रदेश। एराकका चीजें। इस औषधमें एरण्डका मूल, अनन्तमूल, घोड़ा बहुत बढ़िया निकलता है। राक देखो। किशमिश, शिरीष, प्रसारिणी, मुगपर्णी, माषपर्णी, एराकी (अ.वि.) १ एराकदेशीय, एराक मुल्ला- भूमिकुष्माण्ड और केतकौमूल १८१८ रत्ती डालते हैं। वाला। २ अखविशेष, एराक मुल्कका घोड़ा। यह एरण्डादिके सेवन से वात और पित्तका विकार निकल बहुत अच्छा होता है। जाता है। (रसचन्द्रिका) एराफ (हिं० पु०) नौकाका अधस्तल, जहाजका पेंदा । पडी (सं. स्त्री०) एक शाखा नदी। यह नदी एराब, एराफ़ देखो। नमंदामें जाकर गिरी है। एरण्डी अति प्राचीन- एरु (सं.वि.) पा-ईर-उण। गन्ता, गमनमोल, कालसे हिन्दुवोंका तीर्थ समझी जाती है। स्कन्द- चलनेवाला, जो जा रहा हो। पुराणको देखते इस तीर्थ में नहानसे पशेष पुण्य एरोद (एरोड)-१ मन्द्राज प्रान्तके कोयम्बतूर जिलेको मिलता है। नदीके तौरपर एरण्डीखर नामक एक तहसील। क्षेत्रफल ५८८ वर्गमोल है। मूमि शिवलिङ्ग विद्यमान है। प्रधानत: शुष्क है। कहीं कहीं नहरों और तालाबोंसे “एरसीसङ्गमै खाने पुण्यस'ख्या न विद्यते। खेत सौंचे जाते हैं। कलिंगरायन नहर प्रधान है। एरणीश्वरलिङ्गस्तु सर्वपापप्रणाशनः।” (रेवाखरू ३२४) सैकड़े पोछे ८३ बौधे भूमि लाल बालुकामय है। एरनडोल-१ बम्बईप्रान्तके खानदेश जिलेको एक | हिन्दू अधिक रहते हैं। खेती हो जीविकानिर्वाहका तहसील । क्षेत्रफल ४६० वर्ममोल है। ताप्तीको उपत्यका प्रधान उपाय है। सवा कावेरौके दूसरी जगह ब्राहाण आ जानसे भूमि उर्वरा है। प्रामके बाग चारो ओर कम मिलते हैं। एरोद नगरमें गाड़ियां बहुत बनती लगे हैं। कूपकी कोई कमी नहीं। २ बम्बईप्रान्तके हैं। प्रधान स्थान एरोद नगर, पेरुन्दुराय, चेन्नोमलय, खानदेश जिलेको एरनडोल तहसीलका एक नगर। कोदुमूदी और अरसरूल है। मन्द्राजको ट्रङरोड यह अक्षा० २०. ५६ उ० तथा ट्राधि० ७५° २०३० पेरून्दूरायसे इस तहसोलमें प्रा निकली है। मन्द्राज पू०पर अजनी नदीके किनारे धूलियासे १० मील पूर्व और दक्षिण-भारत रेलवेका सङ्गमस्थल एरोद नगर अवस्थित है। धलिया, महासावर रेलवे टेशन और है। कितनी ही जगइ साप्ताहिक बाजार लगते धरनगांवको पक्की सड़क लगी है। एरनडोल एक हैं। जलवायु उष्ण रहते भी अखास्स्थकर नहीं। प्राचीन स्थान है। पहले यहां मोटा देशी काग्रज पानी कम बरसता है। बहुत बनता था। रूई, नील और घनाजका व्यवसाय २ मन्द्राज प्रान्तके कोयम्बतूर जिलेको एरोद होता है। जलगांवमें बड़ा बाजार लगता, जो तहसीलका एक नगर। यह अक्षा० ११.२०२८ उत्तरपूर्व १४ मोल पड़ता है। उ० तथा द्राधि० ७७° ४६ ३" पू०पर कावेरी नदी लम-मन्द्राज प्रान्तके कोचिन राज्यका एक किनारे अवस्थित है। एरोद अपनी तहसौलका हेड- नगर। यह अक्षा... ५८५५” उ० एवं द्राधि ७६ क्वार्टर है। हैदर-अलौके समय एरोदमें ३०.० गृह १९३१ पू०पर, कोचिन नगरसे २ मील दूर अवस्थित ! रहे। किन्तु मराठों, महिरियों और अंगरेजोका Vol. III 123