एकरसिक-एकलव्य ४६५ एकरसिक (सं० वि०) एकमात्रविषयमें अनुरक्त, अलग है। समूएलके समय सम्भवतः यह स्वतन्त्र जो एक ही बातसे खुश रहता हो। रहा। असीरियाक शिलालेखोंसे विदित हुपा, एक- एकराज (सं० पु.) १ प्रधान राजा। २एकोजो। रोनकै राजा पाही पहले जकियावाले जुदाके. एकोजी देखो। अधीन रहे। किन्तु सेना चेरिबका जुदापर दबाव एकराट ( स० पु.) एक-राजन्-टच । राजाह: मखिभ्यष्टच्। पड़नसे उन्होंने स्वाधीनता पायो थी। सन ७०ई०को पा ५।४।११। १ प्रधान राना, बड़ा बादशाह । (त्रि.)। इसमें यहूदी आकर बसे। मकान् मट्टोके बने हैं। २ एकाकी प्रकाशमान, जो अकेले ही रौशन हो। प्राचीनताका कोई लक्षण नहीं मिलता। आसपासको एकरात्र (सं. क्लो०) १ एकमात्र रात्रि, एक रात। भूमि उर्वरा है। २ उत्सव विशेष। यह एक ही रात रहता है। एकचं (सं.पु.) एका ऋक्, कर्मधा। १ एक- एकरात्रिक (सं० त्रि०) एकरात्रिके अर्थ पर्याप्त, ऋक्। (लो०) २ एक ऋकयुक्त सूक्त। (त्रि.) जो एक रातके लिये काफी हो। ३ एक ऋक् पाराध्य । एकरार (अ० पु०) १ अङ्गीकार, मंजरी। २ वचन, एकल (स.वि.) एक-ला-क । एकाको, अकेला । कौन्त । प्रतिज्ञापत्रको एकरारनामा कहते हैं। एकलंगा (हिं. पु०) कुश्तीका एक पंच। एकलंगा- एकराशि (सं-पु.) एकश्चासौ राशिच, कमंधा। डंड, एक प्रकारको कसरतका नाम है। १ मेषादिके मध्य एकराशि। २ किसी वस्तुका एक एकलत्तीछपाई (हिं. स्त्री०) कुश्ती में ऊपरसे चित स्तूप, ढेर। ३ आधिक्य, बढ़ती। करने का एक पेंच ।। एकराशिभूत (संवि०) एकत्र, इकट्ठा । । एकलव्य (सं० पु.) एका अङ्गलिलव्या गुरुदक्षिणा- एकरिकथी ( स० पु.) एकस्य पितुः रिकथमस्त्यस्य, लेन छेद्या यस्य। निषादराज हिरवधनुके पुत्र। एकरिक थ-इनि। १ पिताको सम्पत्तिका एक अंश हरिवंश मतसे इनके पिताका नाम श्रुतदेव था। पानवाला, जो अपने बापकी जायदादका वारिश हो। किन्तु निषाद द्वारा प्रतिपालित होनेसे यह निषादके २ तुल्यधनी, बराबरका दौलन्तमन्द । पुत्र-जैसे परिचित रहे। असाधारण गुरुभक्ति देखा एकरूप ( स० त्रि.) एक समान रूपं अस्य, बहुव्रौ। एकलव्य अपनी कोर्ति स्थापनकर गये हैं। महाभारतमें १ समानरुप, हमशक्ल । “एकरुप तुम माता दीज।” (तुलसौ) लिखते, कि एकलव्य अस्त्रशिक्षाको द्रोणाचार्य के पास (पु०) २ एक मात्र रूप, एक सूरत, एक किस्म। पहुंचे थे। किन्तु द्रोणाचार्य ने उन्हें निषादका पुत्र समझ एकरूपतः (सं० अव्य०) एकमात्र रूप में, बगैर तब शिष्य न बनाया। फिर एकलव्यने किसौ अरण्यमें दोली। जा द्रोणाचार्य को एक काष्ठमय प्रतिमूर्ति प्रस्तुत की एकरूपता (स. स्त्री०) १ तुल्यता, बराबरी। थी। वह अनन्यमनसे उसकी आराधना कर योगके २ सायुज्यमुक्ति । । बल अस्त्रशिक्षा करने लगे। योगबल अथवा गुरु- एकरूपी (सं०नि०) समान रूप रखनेवाला, हमशक्ल। भक्तिसै वाणप्रयोगमें एकलव्यको लघुहस्तता उत्पन्न एकरूप्य (स.वि.) एकस्मात् आगतः, एक-रूप्य। हुई। कौरव और पाण्डव अपने गुरु द्रोणके साथ हेतुमनुष्येभ्योऽन्यतरस्यां रूम्यः । पा ४३८५। १ एक स्थानसे आगत, उसी वनमें मृगया मारने गये थे। उनका एक उसी जगहसे पाया हुआ। २ एकमात्र रौप्यविशिष्ट ।। हठात् एकलव्यका मलिन देह, कृष्णाजिन और जटा- एकरोन ( Ekron )-फिलिस्टाइनका एक राजनगर । पाश देख मूंकने लगा। एकलव्य ने अति लघुहस्तसे यह रामलेइसे ५ मील दूर फिलिसिया और शारोंके उस कुत्तेके मुख में सात शब्दभेदी वाण मार थे। वह मैदानको पृथक् करनेवाली उच्च भूमिके दक्षिण ढाल | शरपूर्ण वदन लिये पाण्डवोंके निकट जा पहुंचा। भागपर अवस्थित है। कारबारी राहसे एकरोन । वोर वाक्षेपकारीको भूयसी प्रशंसा करने लगे और Vol. III , 117
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/४६६
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