पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/४६३

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एकपर्णी-एकपुरुष एकपर्णी, एकपर्णिका देखो। । एकपादुक (सं०वि०) एका पादुका यस्य, बहुव्रो। एकपर्वतक (स• पु०) पर्वत विशेष, वर्तमान रोहेल- १ एकपाद, एक पैरवाला। २ जातिविशेष, एक खण्डकी दक्षिणस्थित गिरिमाला। (भारत, सभा १८ अ०) कौम। कहते, एकपादुक एक हो. पैर में जता एकपलाश (सं० पु०) एकः पलाशो तस्य, बहुव्री। पहनते हैं। एकमात्रपत्र विशिष्टवृक्ष, एक ही पत्तीका पेड़। एकपिङ्ग (स.पु.) एकं पिङ्ग नेत्र यस्य बहुव्रो। एकपलिया (हि पु०) गृह विशेष, किसी किस्म कुवेर। कुवेरके एकनेत्र पर काशीखण्ड में लिखा- का घर। इसमें बड़ेर नहीं पड़ती। दीवारों पर कुवेरने प्रति कठोर तपस्यासे महादेवको रिझा लम्बाई के आमने-सामने कड़ी रख छप्पर डाल देते लिया था। उन्होंने शङ्करके समीपस्थ हो देखा-. हैं। छप्पर ढाल रखनेको एक ओर दीवार ज़रा गौरो महादेवके वामपाख पर बैठी थीं। कुवेरने ऊंची कर लेते हैं। सोचा, वह सर्वाङ्गसुन्दरी रमणो कौन रहीं। जैसी एकपाटला (स'० स्त्री०) एक पाटलं पुष्य आहारो | उनकी सौभाग्यश्री थी, उससे अपनी अपेक्षा भो तपस्या- यस्याः। १हिमालयको एक कन्या। यह पार्वतीको की शक्ति अधिक समझ पड़ी। इसीप्रकार सोचते-सोचते भगिनी रहीं। इन्होंने एकमात्र पुष्प खा तपस्या | उन्होंने क्रूरभावसे दृष्टि डाली थी। बस, उनका वाम को थो। २ दुर्गा। चक्षु फट गया। फिर देवीने महादेवसे कुवेरका एकपाण (स.पु.) एकमात्रपण, अकेली बाजी। परिचय पूछा था। उन्होंने कहा-यह अतिभक्त और एकपात (सं.पु.) एकः पादो यस्य, पाद शब्द तुम्हारे पुत्रके तुल्य हैं। इसोप्रकार नानारूप परिचय दे स्थान्तलोपः । संख्यासु पूर्वस्य । पा ५।४।१४। १ शिव । महादेवने कुवेरसे गौरौके पदतलपर गिरने को कहा। २ विष्णु। (त्रि.) ३ एक पाद रखनेवाला, लंगड़ा। कुवेरको देवीने वैसा ही करने पर आशीर्वाद दिया एकपात (सं० त्रि.) अकस्मात् पा पड़ने वाला, था-तुम स्फटित वामनेत्र द्वारा 'एकपिङ्ग' विख्यात जो एकाएक गुज़र जाता हो। . होगे। एकपातिन् (स'त्रि.) एकः सन् पतति, एकपत- एकपिङ्गल (सं० पु.) एक पिङ्गलं नेत्र यस्य, बहुव्रो। णिनि। एकाको खड़ा रहने वाला, आज़ाद। कुवेर। एकपिङ्ग देखो। एकपातिनी (सं० स्त्री०) खतन्त्र छन्दो विशेष। एकपिण्ड (सं० त्रि.) एकः समानः पिण्डः श्राद्यादेः एकपाद (स० पु०) एकश्चासौ पादश्च, कर्मधा० । पिण्डः देहो वा यस्य, बहुब्रो० । सपिण्ड, १ एक पद, अकेला पर। २ परमेश्वर। ३ एक | रिश्तेदार। एकपिण्डता (सं० स्त्री०) सपिण्डी-भाव, रिश्तेदारी। एकपिटक (स० त्रि.) एकः समानः पिता यस्य, लिखा, कि एकपाद जनपद दाक्षिणात्यके मध्य अव बहुव्री० कः। एक पिताके भौरससे उत्पन्न, एक ही स्थित है। (सभा ३० अ० ) यूनानी ऐतिहासिक मेगे- बापसे पैदा। स्थिनिसने एकपाद जातिको प्रोक्पदिस् (Okupedes) एकपुत्र (सं० पु०) एक हो पुत्र रखनेवाला, जिस एवं टिसियाम मनोपोदिप्स ( Monopodes ) कहा | आदमौके एक ही बेटा रहे। है। यह लोग किरातजाति समझ पड़ते हैं। एकपत्रता (स. स्त्रो०) एकमात्र पुत्रको अवस्थिति, . .. किरात देखो। एक ही लड़का रहनेको हालत । एकपादिका (सं० स्त्री०) १ एकपदके अवलम्बनसे | एकपुरुष (सं० पु०) एकः श्रेष्ठः पुरुषः, कर्मधा। पक्षियोंका एक अवस्थान । “अथावलम्बा चमेकपादिकाम्।" | १परमेश्वर। २ प्रधान पुरुष, बड़ा पादमौ। (वि.) (नैवध रम स०) २ शतपथ ब्राह्मणका द्वितीय पुस्तक।। एकः पुरुषो यस्मिन, बहुव्री०। ३ एकमात्र परुषयुक्ता,