एकपक्ष-एकपर्णिका मशालो. एकपक्ष (सं.वि.) एकः पक्षो यस्थ, बहुव्री। एकपद (सं.ली.) एक पद पदमात्रोच्चारण- १ उसी पक्षवाला, जो उसी ओरका हो। २ पक्षपाती, कालो यत्र, बहुव्री०। १ एकमात्र पाद, सिर्फ एक तरफदार। (पु.)३ एक पक्ष, वही भोर। कदम। २ साधारण शब्द, मामूली लफ्ज़। ३ वर्त- एकपक्षीय (स'० वि०) एक ही पक्षवाला, एक- मान समय, हालका वक्त । ४ वैकुण्ठ । ५ विभक्कान्त तरफा। पद। ६ एकस्थान, वही जगह। ७ वास्तुमण्डलख एकपञ्चाश (स त्रि.) एकपञ्चाशत पूरणार्थ डट् । एककोष्ठरूप स्थान। (पु.) ८ शृङ्गारबन्ध विशेष । इक्यावना। ८ वास्तुयागाराधा देवता। १० एकपदविशिष्ट मृग- एकपञ्चाशत् ( स० वि०) एकेन अधिका पञ्चाशत्। विशेष। (वि.)११ एक पदवाच्च। १२ एकपद- इक्यावन, पांच दहाई और एक इकाईसे बना, ५१।। विशिष्ट, एक पैरवाला। एकपञ्चाशत्तम, एकपञ्चाश देखो। एकपदवान् (सं० वि०) एकपद-मतुप, मस्य वः। एकपटा (हिं.वि.) एक ही पाट रखनेवाला, जो एकपदविशिष्ट, एक परवाला। चौड़ाई में जुड़ा न हो। एकपदस्थ (सं० वि०) एकस्मिन् तुल्ये पदे अधि- एकपट्टा (हिं० पु.) कुस्तीका एक पंच। लडने | कार तिष्ठति, एक पद-स्था-क। १ समानकार्यकारी, वालेको एक जांघ हाथसे उठा दसरे पैरमें अपने पैरसे बराबरीका काम करनेवाला। २ तुल्यसम चपरास मारते और जमीन पर चित फटकारते हैं। बराबरौवाला। एकपतिका (सं० स्त्री०) एकः समानः पतिर्यस्याः, एकपदा (स. स्त्री०) एक पादात्मक छन्दोविशेष । क-टाए, बहुव्री। सपत्नी, एक ही पतिको स्त्री। एकपदि (स० अव्य.) एकपद-इच्, निपातनात् "सर्वासामेकपबौनामका चेत् पुविणो भवेत्। . साधुः । हिदत्यादिभ्यश्च । पा ५४१२८ । एकपादपर, एक पेरसे सर्वास्तास्ते न पुर्वण प्राह पुववतौर्मनुः ॥” (मनु रा१८३) एकपदी (सं० स्त्री०) एकः पादो यस्याः, एकपाद- एकपत्नी (सं० स्त्री० ) एको अद्वितीयः पतिर्यस्वः, | डीप डोष वा, पादस्य पदादेशः। १ पथ, पगडंडी। बहती। १पतिव्रता। २ एकपदविशिष्टा, एक परवालो। ३ छन्दके चतुर्थी - "ताचावश्य दिवसगणना तत्परामेकपवौम्।” (मेघ ४१०) शमे विशिष्ट ऋक् । २ सपत्नी। एकपदे (सं० अव्य.) १ अकस्मात्, एकाएक । एकपत्र (स पु०) १ चण्डाल कन्द। २ खेत २ एकबारगी, फौरन्। ३ एक ही चेष्टामें, अकेली तुलसी। . कोशिशसे। एकपत्रक, एकपव देखो एकपर (सं० वि०) एक चिङ्गसे निर्णय करनेवाला । एकपत्रा, एकपविका देखो। यह शब्द पाशेका विशेषण है। एकपत्रिका (सं० स्त्री०) एक गन्धवत्त्वात् श्रेष्ठ एकपरि (स० अव्य.) एक ऊपर-नीचे, एक घट • पत्र यस्याः, बहुव्री० क-टाप् अत ः। गन्धपत्र- बढ़ कर । वृक्ष। २ पाण्डु र-तुलसी वृक्ष। | एकपर्णा (स स्त्री० ) एकमेव पणे पाहारो यस्याः । एकपत्री (सं. स्त्री०) नागवलो लता, पान । १ मेनकाके गर्भसे सम्म त हिमालयको तीन कन्यावों में एकपत्रोतपत्तिक (सं० त्रि.) अङ्करके समय एक- एक कन्या । यह असित देवलकी पत्नी थीं। मात्र पत्र निकालनेवाला, जो कोपल फूटते वक्त. सिर्फ | (हरि १८ अ०) २ दुर्गा । एक ही पत्ती देता हो। एकपणिका (सं० स्त्री०) एकपर्ण-कन्-टाप, प्रत एकपद (सं• वि.) एकपाद विशिष्ट, एक ही पैर | इत्वम् । पार्वती। इन्होंने तपस्याके समय केवल रखनेवाला। | एक पत्र खा जीवन धारण किया था। Vol. III 116
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/४६२
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।