पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/४१४

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उमरगढ़-रुद्दयस ४१३ एवं ट्राधि० ७७° ४५ पू०पर अवस्थित है। १८१८ ! जमा (हिं. स्त्री० ) यव वा गोधूमको हरित् मञ्जरी, ई०को यहां हातकर सरदार और निजामको सेनामें गई वगैरहको ताजी बाल। युद्ध हुआ। १७८५ ई० में निज़ामने जमरखेड़ परगना जय (धातु) भ्वा० आम सक० सेट् । “न्यौङ स्वने।" १७६४ ई०का युद्ध समाप्त होनेपर पेशवाको दे डाला (कविकल्पद्रुम) सौना, टांकना। था। पूनामें हारनेपर पेशवा' १८१८ ई०को पूर्व को जर (स.पु.) धान्यवपन नियमविशेष, धान बोनेको ओर भागते यहां ठहर गये। ब्राह्मण साधु महा- एक चाल। जड़हन लगानका नाम जर है। बैंगन राजकी चिताके स्थानपर एक अच्छासा मन्दिर बमा एक महीने बाद उखाड़ कर जब जलसे भरे खेतमें है। सुप्रसिद्ध गोमुख स्वामीका भी यहां मठ था। बोया जाता, तब जर कहलाता है। . वर प्रतिवर्ष एक चेलेके साथ इधर-उधर दौरपर जाते जरज (हिं.) अर्ज देखी। और प्रायः २ लाख रुपया मांग लाते, जिसे पुण्य- जरध (हिं.) ऊर्ध्व देखो। कार्य में लगाते थे। उन्होंने अनेक मन्दिर तथा कूप जररी (सं० अव्य० ) जय बाहुलकात् रोक्। • बनवाये। दूर-दूरसे लोग यहाँ मानता करने आते हैं। विस्तारसे, बढकर। २ अङ्गीकार, हां, ठीक है। १८८१ ई में गोदावरी किनारे महात्माने इहलोक जररीकत (.स. त्रि.) स्वीकृत, माना। छोडा था। मठमें स्वामीका समाधि प्रतिष्ठित है। जरव्य (सं.पु.) अरोर्जातः जरु-यत्। ब्रह्माका अमरगढ़-युक्तप्रान्तके एटा जिलेको जलेसर तहसौलका जरुजात, वैश्य, बनिया। एक नगर। यह जलेसर नगरसे साढ़े चार कोस जरी (स.प्रव्य०) जर बाहुलकात् रोक् । १ विस्तारसे, दक्षिण-पूर्व संगरनदीके वामतटपर अवस्थित है। फैलाकर। २ स्वीकार, मञ्ज र, हां। (हिं स्त्री०) पहले यहां यदुवंशियोंकी राजधानी रही। एक ३ यन्त्रविशेष, एक औजार। जुलाहे इसे दुतकला पुराना किला खड़ा है। उसमें उक्त वशके प्रतिनिधि या सलाका भी कहते हैं। रहते हैं। किलेके चारो ओर एक गहरी खाई खुदी अरोक्कत (सं० त्रि.) जरी-क-त। १ अङ्गोक्त, यो। आजकल वह पूर गयी है। मकान् भी टूटे माना हुआ। २ विस्टत, फैला हुआ। फूटे हैं। ठाकुर बहादुरसिंहके समय मराठोंने अरु (सं० पु० ) ऊण यते आच्छाद्यते, कुः नुलोपश्च। सेंधियाके अधीन ऊमरगढ़ लूटा था। नौलको दो जोतेर्ण लोपश्च । उण १।३१। जानुका उपरिभाग, टांगका कोठियां चलती हैं। उनमें एक यदुवंशियों और एक ऊपरी हिस्सा, रान। युरोपीयोंके अधीन है। किले की दीवारोंके पासपास जरुग्राह (सं० पु०) अरु-गृह्वाति स्तनाति, अरु- श्रामके उम्दा बाग लगे हैं। | ग्रह-अण् । जरुस्तम्भरोग। ऊरुस्तम्भ देखो। जमरपुर-विहार प्रान्तके भागलपुर जिलेको बंका जरुग्लानि (सं० स्त्री० ) अरुको निर्बलता, रानको तहसीलका एक नगर। यह अक्षा० २५°२२३ उ० कमजोरी। तथा द्राधि०८६.५७ पू०पर अवस्थित है। यहां जरुज (मुं० पु० ) अरोर्जातः, अरु-जन-डः । १ वैश्य, जिलेके दक्षिणांशमें उत्पन्न शालि प्रभृति धान्च बनिया। २ भृगुवंशीय और्व नामक मुनि। एकत्र किये और मुंगेर एवं सुलतानगंजको राह! “रजसा तमसा चैव समुद्रिक्तास्तथोरुजाः। (विष्णुपु० १।६।४) पूर्वको भेज दिये जाते हैं। एक बड़े तालाबपर जरुजन्मा, जरुज देखो। शाह-शुजाको मसजिद बनी है। डुमरांव कोई प्राध! अरुदन (वै० वि०) ऊर-दनच् । ऊरुपरिमित, कोस उत्तर पड़ता है। . रान्के बराबर । जमस, उमस देखो। "जरदनो हितोयो नानुदन्नस्त तोयः।" (शतपथबा १२।२१३ ) जमहना, उमहना देखो। | जरुद्दयस, ऊरुदन देखो। Vol III. 104