उल्मुक-उल्लाप्य ३६५ उल्मुक (सं० लो०) श्रोषतीति, उषदाहे उल्म कदर्वोति ! खश। २ वहिर्गमन करनेवाला, जो निकल निपातनात् यस्य लः मुक् प्रत्ययश्च। १ज्वलदङ्गार, रहा हो। जलती हुई लकड़ी या कोयला। “अन्वाहार्य पचनाटुल्गु क- उल्लसत् (सं०त्रि.) १कोड़ा-वा तृत्व करनेवाला, नादाय। (शतपथब्रा० ६।२।७) २. वृष्णिवंशीय एक राजा। जो नाचकूद रहा हो। २ दीप्त, चमकोला।३ खेच्छा- भारत, सभा ३८१६) ३ बलरामके एक पुत्र । चारो, मनमौजी। उल्म क्य (सं० पु०) उल्म के भव यत्। १ अग्नि, भाग। उल्लसता (स'. स्त्री०) १दीप्ति, चमक। २ प्रस- "अथ हैक उल्मु क्येम दहन्ति ।” (शतपथब्रा० १२५१-१६ ) (त्रि.)२ ब्रता, खशी। अङ्गार-सम्बन्धीय, जलती लकड़ीसे सरोकार रखनेवाला। उल्लसन (स.ली.) उत्-लस-ल्य ट। १ हर्षजनक उल्लकसन (सली.) रोमाञ्च, रोंगटोका खड़ा होना। व्यापार, खुशी पैदा करनेवाला काम। २ रोमाञ्च, उल्लग्न' (२० पु०) किसी स्थानविशेषका लग्न। रोंगटोका खड़ा होना। उल्लङ्घन (सं० ली.) उत्-लधि ल्यु ट् । अतिक्रमण, उल्लसनक, उल्लसन देखो। लंघाई, पार जवाई। उल्लसित (सं० वि०) उत्-लस्-क्त। १ स्फुरित, उल्लङ्घना, उलंघना देखो। फड़कने वाला। २ उटुगत, उठा हुआ। ३ भान- उल्लङ्घनीय (सं० त्रि०) अतिक्रमणयोग्य, जो लांघा न्दित, खुश । जानेके काबिल हो। उल्लसित-हरिण केतन (सं. त्रि.) जिसके हरिणका उल्लडिन्त (सं०त्रि०) अतिक्रमण किया हुआ, जो लांधा झण्डा फहराये। गया हो। उल्लाघ (स'. त्रि.) उत्.लाघ-क्त निपातनात् । उल्लडिन्तशासन (सं० त्रि. ) आज्ञा न माननेवाला, १ नौरोग, जिसके कोई बीमारी न रहे। २ दक्ष, नाफरमांबरदार, बलवाई। होशियार। ३ शुचि, पाक-साफ। ४ दृष्ट, मजबूत । उल्लविताध्वन् (सं० त्रि.) माग के ऊपरसे गुज़रा (पु.) ५ मरिच, मिर्च। हुप्रा, जो राह पार कर चुका हो। उल्लाप (सं० पु०) उत्-लप-वज । १शोक ,अफसोस । उल्लङ्घय (सं० त्रि०) उत्-लधि-यत्। उल्लङ्घनके योग्य, “खलोलापा: सोढाः कथमपि तदाराधनपरैः।" (भव हरि श६) लांधने लायक। | २ ऊच्चैःस्वरके साथ आह्वान, जोरकी पुकार। उल्लम्फन ( स० क्लो०) उत्रन्फ-त्यु ट् । कूद-फांद, उल्लापक, उल्लापिक देखो। उछाल। उल्लापन (सं० लो०) उत्-लप्-णिच्-ल्युट । १ वृत्ति उल्लम्बित (स. त्रि०) दण्डायमान, सौधा, खड़ा। प्रभृति द्वारा शास्त्रको प्रकृत व्याख्याका करना, समझा उल्लल ( स० त्रि.) उत्-लल्-अच् । १ बडुलोम समझा कर कहना। २ खुशामदी बातें,ठकुरसोहाती। यक मोटे बालोंसे ढका हुआ। २ कम्यायमान, उल्लापिक (सं. त्रि०) वर्णन करनेवाला. जो हिलता हुआ, जो कंप रहा हो। खुशामदको बातें कहता हो। उल्ललत (संत्रि.) १ कम्पायमान, हिलता हुआ। उल्लापिन् (सं० त्रि. ) आन्द्वान करनेवाला, जो ज़ोरसे २ अनियमित रूपसे चलायमान, जो बेकायदे सरक पुकार रहा हो। रहा हो। उल्लाप्य (सं० लो०) उत् लप-णिच्-यत्। प्रेम एवं उल्ललित (सं. वि.) उत्-लल-त । १ उच्चलित, हास्यविषयक नाटकविशेष। यह स्वर्गीय घटनापर जो चल चुका हो। २ तरलिस, बहता हुआ। बनता है। सयामका ही वर्णन अधिकांश होता है। ३ कम्पित, कंपनेवाला। हास्य, करुणा प्रभृति रस और सङ्गीतसे झाप्य भरा हास, सं० वि०).१ प्रकाशमान चमकौला।३ प्रसन, रहता है। नायक उदात्त मुसविशिष्ट होता है।
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/३९६
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