उरा-उरुक्षय ३८३ उरा (सं० स्त्री० ) उरणी, भेड़ी। 1 उराव (हिं पु०) हृदयोहार, अभिलाष, हिम्मत, चाहना। उराउ, उराव देखो। उरावन-छोटे नागपुर और पश्चिम बङ्गालके सन्याल उराट (हि.) उर देखो। धांगड़। यह गांगपुर राज्य में अधिक मिलते हैं। उरान (उरन्)-१ बम्बई प्रान्तके थाने जिलेका एक नगर। करनल डालटनके कथनानुसार यह गुजरात या कोक- यह अक्षा० १८० ५२४“३० तथा ट्राधि० १२.५८ नसे पाकर यहां वसे हैं। ओरापोन् देखो। पू० पर थाना नगरसे दक्षिण-पश्चिम ११ कोस दूर उराश (हिं० वि०) दोच, बड़ा। करन द्वीपमें अवस्थित है। इससे उत्तर डेढ कोस उराह (सं० पु०) ईषत् पाण्डुवर्ण कृष्ण जसा विशिष्ट मोरे बन्दरमें एक बड़ो चुङ्गो और शराबका गुदाम अश्व,जो हलके पौले रङ्गका घोड़ा काल पर रखता हा। है। वहांसे कितनी ही शराव थाने तथा कुलावे उराहना, उरहना देखो। जिले और बम्बई शहरको भेजी जाती है। नगरमें उरिण, उऋण देखो। डाकघर, औषधालय, स्कूल, गिरजा, मन्दिर और मस- उरिन उऋण देखो। जिद आदि हैं। २ बम्बई प्रान्तके थाने जिलेको चङ्गीका उरिष्ठ (हिं पु०) अरिष्ट, रोठा । विभाग। इसमें मोरा, करञ्ज और शवा लगता है। उरी (स'. अव्य.) उर गतौ बाहुलकात् ईक् । समुद्रको राह लाखों रुपयेका व्यापार होता है। १ अङ्गीकार ! मञ्जर ! अच्छा ! २ विस्तार, फैलाव ! ३ बम्बई प्रान्तके थाने जिले की पनवेल तहसीलका बढावढ़ी। एक दीप। उरीकार, उररीकार देखो। उराप-बम्बई प्रान्तस्थ सालसोट और वैसीन जिलेके उरीकृत, उररीकत देखो : किसान। इन्हें कोई उराप और कोई वराप कहते उरोहा (सं० स्त्री०) कारवेलक, करेली। हैं ! यह पहले ईसाई थे। १८२० और १८२८ उरु (स० त्रि०) ऊणक, गुलोपश्च-इखः। जति- ई० को पालशे ब्राह्मण रामचन्द्र बाबा जोशी तथा गुलोपञ्च । उण १।३१ महति इखय । पा ४:१।३२:। १ महान, विठ्ठल हरिनायक वैद्यने इन्हें फिर हिन्दू बनाया। कोई बड़ा। २ विस्तीण, फैला हुआ। ३ अधिक, ज्यादा। 'उराप' शब्द फारसीके 'उप' और कोई अंगरेजौके ४ मूल्यवान्, कीमती, बढिया। (हिं.) ऊरु देखो। 'युरोप' शब्दका अपभ्रश बतलाते हैं। किन्तु दो में उरुकाल (स० पु०) उरुमहान् कालः कृष्णवर्णः एक बात भी ठीक नहीं। सम्भवतः यह शब्द मराठौके । परिणामोऽस्य । महाकाललता, लाल इन्द्रायण । 'ओरपने' या 'वरपने से निकला है। अर्थ तप्त उरुकालक, उहकान्त देखो। लोहसे दागना है। क्योंकि जब यह हिन्दू बने, तब उरुक्वत् ( स० त्रि०) स्थान प्रदान करनेवाला, जो गर्म लोहेसे दगे थे। उरापोंको नये मराठा कहते है। जगह देता हो। यह शूद्र वा दास आगरियोंसे भी नीच हैं। उरापोंके उरुक्रम (व० त्रि.) १ पादविक्षेपयुक्त, लम्बे पैरों पुरोहित और नेता स्वतन्त्र रहते हैं। यह दूसरे चलनेवाला। २ उच्च पदान्वित, ऊंचे दरजेवाला। आगरियों की तरह हिन्द देवदेवो पूजते हैं। इनके “शं न इन्द्रो वृहस्पतिः शं नो विशुरुरुक्रमः ।" (ऋक् २६९) गोमस, सोज, फरनम, फुताद, मिनेज प्रभृति उपाधिसे. 'यस्य वियोरुरुषु विस्तोणेषु विसंख्यकेषु भूतजातान्याविल्या निवसन्ति स ईसाईपन झलकता है। हिन्द होते समय इन्हें कितना | विष्णुः स्त यते।' (१।१५२ ऋग्भाष्ये सायण ) हौ रुपया द स्वरूप देना पड़ा था। ३ ऋषभदेव। उरामथि (सं.वि.) उरणी मारनेवाला, जो भेडी अष्टम मरुदैव्यान्तु नाभेाति उरुक्रमः।" (भागक्त १०१२). कत्ल करता हो। उरुक्षय (सं० पु.) १.भरहाज वंशीय महावीर्य उराय, उराव देखो। | राजपुत्र। (विध पु० ११०) २ प्रशस्त भवन, लम्बा-
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/३८४
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