पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/३७८

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उमौचन्द-उमेत ३७७ लडेंगे। यह भय देखा इन्होंने अपना प्राप्य ४ लाख। लोग सोचने लगे कि इस समय कैसे अमीरचन्दको (जो रुपया कलकत्तेसे उनका घर लट नवाबको फोज अंगरेज धोका देंगे। इतने में ही चतुरपक्वति स्क्राफ- ले गयी थी) और वर्धमानके महाराजको ऋण दिया टन साहव झटपट हंसते हंसते हिन्दीभाषामें बोल हुमा साढे ४ लाख रुपया पानके लिये नवाबसे । उठे-'अमीरचन्द ! लालकाग़ज जाली है। पापको आदेश निकलवाया। कुछ न मिलेगा। इस बातसे अमौरचन्दपर मानो ____इसौसमय वाट म साहब अमीरचन्दके लिये बहुत वज्ज टूट पड़ा। लालकागजको जालो सुनते हो और चिन्तित हुये-वह कब क्या उपद्रव खड़ा कर दें। अपने लाभको आशा न रहते ही यह निस्सन्द हो वाट स और स्क्राफटन दोनों ने परामर्शसे ठहराया | गये। समस्त शरीर कांपने और मत्था घमने लगा अमीरचन्दको मुरशिदाबादसे इस समय हटा देना हो | था। यदि उस समय कर्मचारी पकड़ न लेते, तो पावश्यक है। स्क्राफटनने इनसे आकर कहा | अमीरचन्द निश्चय भूमिपर गिर संज्ञा खो देते। 'इस समय आपको मुरशिदाबाद छोड़ देना चाहिये। नौकरोंने बड़े कष्टके साथ इन्हें पालको पर बैठा क्योंकि यहां गड़बड़ पड़नेसे वाटस साहब तो घोड़ेपर कर घर पहुंचाया। फिर काई एक घण्टे निस्पन्द . चढ़ अनायास ही भाग जायेंगे, किन्तु आप वृद्ध होनेसे रहने के बाद उन्मादका लक्षण देख पड़ा। उस जल्द जल्द निकल न पायेंगे। इसलिये अविलम्ब समयसे अमीरचन्दका मन बहुत बिगड़ गया था। आपको कलकत्ते जाना पड़ेगा। किन्तु उससमय आजीवन यह आक्षेप न मिटा-'जिसके लिये धन, भी यह नवाबके खज़ानेसे अपना रुपया पा न सके थे। जन, सहाय, सम्पत्ति सब कुछ गंवाया, उसीने इन्होंने स्क्राफटनसे भी यह बात बता दी। स्क्राफटनने | हमारी ओर दृष्टिको न उठाया और धोक में भी अमीरचन्दसे कहा-'यह रुपया न मिलनेसे आपका फंसाया। फिर जब यह लाइबसे मिले, तब साइव कोई नुकसान न होगा। नया बन्दोबस्त होते ही अम्लानवदन हो कहने लगे-'अमीरचन्द ! तुम्हारा पाप प्रधान कोषाध्यक्ष बनाये जायेंगे।' इसीप्रकार मन बिगड़ गया है। अब तुम तीर्थयात्रामें भ्रमण नाना प्रलोभन देखा यह कलकत्ते पहुंचाये गये। करो।' अमीरचन्द लाइबके कहनेपर तीर्थ यात्रा यथासमय पलासीके समरक्षेत्र में शिराजके सौभागा करने निकले। राहमें कभी यह सोते और कभी का सूर्य चिरदिनके लिये अस्तमित हुआ। अंगरेज गाते थे। इस घटनाके डेढ़ वर्ष बाद १७५८ ई०को बङ्गालके समय को बने। अमौरचन्दने भी समझा, ५वौं दिसम्बरको इन्होंने इहलोक छोड़ दिया। उनका भागा खुल गया। शीघ्र ही ३० लाख रुपया उमीदी मौलाना-अपने समयके एक बहुत अच्छे मिलना क्या कम खुशीको बात थी! अमोरचन्द कवि। रेई प्रान्तके तहरान् नगरमें इन्होंने जन्म क्लाइबके साथ मुरशिदाबाद गये। मीरजाफर बङ्गाल लिया था। शाह इसमाइल सुफीके कितने ही. के नवाब बने। उस समय लाइबने 'प्रकृत' सन्धि सभ्यों से इनकी घनिष्ठ मित्रता थी। किन्तु इनसे पत्रके अनुसार सकल विषय निष्पत्ति करनेको बात शाह कवासुद्दीन नरबख शी जलते थे। १५१८ ई.को उठायो। मौरजाफरके भवनमें सभा भरी। लाइब, किसी रातके समय उन्होंने इन्हें मार डाला था। वाटस, स्क्राफटन, मौरन, रायदुर्लभ और अमौर- उमेठन (हिं० स्त्री०) उद्देष्टन, ऐंठ। चन्द उपस्थित हुए। सब लोग यथास्थान बैठे, किन्तु उमेठना (हि. क्रि०) उद्देष्टन करना, ऐंठना। अमीरचन्द कुछ दूर रखे गये। उमेठवां (हिं० वि०) उमेठा-जैसा, ऐंठा, मरोड़दार। सफेद काग़ज़को सन्धिके अनुसार एक-एक कर | | उमेड़ना, उमेठना देखो। सकल विषय पूरे किये गये। अब अंमीरचन्दको बारौ उमेत-गुजरात प्रान्तके रेवाकांठा जिलेका एक छोटा आयो। ये कितने ही सुखस्वप्न `ख रहे थे। सब !. राज्य। क्षेत्रफल साड़े ३६ वगै मोल है। प्रतिवर्ष . Vol III. 95