उमस-उमाकना स्थान दे डाला था। उस समय यहां सिवा नङ्गल ब्रह्मान देवतावोंपर विजय पाया था। किन्तु देवता दूसरा कुछ भी न रहा। वर्तमान जमीन्दार उन्हीं उनसे परिचित न थे। उन्होंने अग्नि और वायुको पण्डितके सन्तान हैं। उन्हें आज भी लोग 'देश ब्रह्माका भेद लेनेके लिये भेजा। ब्रह्माने कहा- पाण्डे' कहते हैं। १७७५ ई. को माधोजी भोसले तुम कौन हो। एकने अपने को जलाने और दूसरेने उमरेरमें रहे थे। उन्होंने किला बनवाया। पहले उड़ानेवाला देव बतलाया। ब्रह्माने दोनोंसे धासका किला ३०० गज लम्बा और ८० गज चौड़ा था। एक तिनका जलाने और उड़ाने का आदेश दिया। ईटको दीवार १२ फीट मोटी और ३५ फोट उठी किन्तु वायु और अग्नि वह काम न कर सके। इस- रहीं। पीके बुर्ज बने थे। अब केवल दो पाच लिये वह ब्रह्माका भेद वैव ये ही लौट आये। फिर अवशेष हैं। किले में कितने ही कूयें बने हैं। एक देवोंने इन्द्रसे कहा-ब्रह्मा का भेद पूछो। ब्रह्मा इन्द्रको प्राचीन मन्दिरका भी वंसावशेष पड़ा है। उमरेर । देखते ही अन्तहित हुये। उसी समय अाकाशमें उमा वस्त्र व्यवसायकै लिये प्रसिद्ध है। माधोजीके समयसे हैमवती चमक उठों। इन्द्र ने पूछा-या आत्मा यहां वस्त्र बनते आते हैं। उमरैरकी धोतियां बहुत किसका है। उमान उसे ब्रह्मा बतलाया था। बढ़िया होती हैं। ऊन रेशमका छोटा और बड़ा ब्रह्मा और देवतावों को मध्यस्थ उमाको शङ्करा- दोनों तरहका किनारा चढ़ता है। पूना, नासिक, चायने विद्या माना है। भाष्यकारने कहा है- पण्टरपुर और बम्बई तक धोतियां बिकने जाती हैं। हिमवानको सुता गौरी दैवी विद्याकी प्रतिमूर्ति हैं। यहां कितने ही महाजन और व्यवसायी बणिक बसते फिर उमाका अर्थ गौरी ही है। इससे उमा अनन्त हैं। नगरको दोनों ओर तालाब है। स्क ल और विधानको बोधक हैं। परमेश्वरको सोम अर्थात् उमा अस्पताल अच्छा बना है। वा विद्याका साथी कहते हैं। उमा परमा विद्या हैं। उमस (हिं. स्त्री०) प्रान्तरिक उत्ताप, अन्दरूनी ईश्वर उन्हीं के साथ रहता है। तैत्तिरीय-भारण्यक गरमी। प्रायः वृष्टि होनसे पहले उमस पड़ती है। जगन्माता अम्बिकाको उमा अर्थात् देवी विद्याका रूप उमसना (हिं. क्रि०) आन्तरिक उत्ताप उठना, बतलाता है। अन्दरूनी गरमी लगना। उमाकट (स पु०) उमाया रजः, उमा-कटच । उमदना (हिं. क्रि०) १ प्रवाहित होना, बह चलना। पलातिलोत्तमाभांभ्योरस्थ पसंख्यानम्। (काशिका पारा२९) २ उत्तेजित पड़ना, जोश खाना। ३ आच्छादन । अतसौको धलि, अलसीका जरा। करना, छा जाना। उमाकना (हिं. क्रि.) उत्पाटन करना, जड़ छोड़ाना, उमा (स० स्त्री०) ओईरस्य मा लक्ष्मीरिव उं शिव उखाड़ना। माति मिमोते वा, उ.मा-क अजादित्वात् टाप।
- “स तस्मिन्नेव पाकाशे स्त्रिय माजगाम बहुशोभमाना मुमा
१ शिवपत्नी, पार्वती। इन्होंने हिमवान्के औरस और हैमवतो। तां होवाच किमेतद यचमिति ।” (कैन ३०१२) मेनका गर्भसे जन्म लिया था। + “सा ब्रह्मेति होवाच ब्रह्मो वै एतदृविजय मझौयध्वमिति । .. “मेति मावा तपसो निषिद्धा पश्चादुमाख्या सुमुखो जमान ।” (कुमार) ____ ततोह एव विद्याञ्चकार ब्रह्मेति ।” (कैन ॥१॥) माता मेनकाके 'उ: मा अधिक तपस्या न करों' + 'तस्य इन्द्रस्व यच्च भक्तिम्हा विद्या उमाकपिगी प्रादुरभूत् स्त्रीरूपा। स इन्द्रस्ता मुमा बहुशोभमानां सर्वेषां हि शोभमानानां शोभनतमा विद्या कहनसे उमा नाम पड़ा है। इन्हें दुर्गा भी कहते हैं। तदा बहुशोभमाना इति विशेष उपपन्न भवति। हैमवती मिलताभरण- २ हरिद्रा, हलदी। अतसो, अलसी। 8 कीर्ति, वतामिव बहुशेभमानामित्ययः। अथवा उमेव हिमवतो दुहिता हैमवती नामवरी। ५ क्रान्ति, चमक । शान्ति, अमन । नित्यमेव सर्वजन ईश्वरेण सह वर्तते इति ज्ञातु' समर्था रति कृत्वा तामप- ७ रात्रि, रात। ८ ब्रह्मविद्या। भगाम इन्द्रस्तां इ उमां किल उवाच पप्रच किमेतद दर्शयित्वा तिरीभूतं केन उपनिषद में उमाका नाम मिलता है। एकबार। यचम्।' (भाष्य) Vol III. 93